बदलते दौर में मूल खादी को पसंद नहीं कर रहे नेताजी
मुंगेर। खादी का धोती-कुर्ता या कुर्ता-पायजामा कभी नेताओं का ड्रेस कोड माना जाता था। खादी क
मुंगेर। खादी का धोती-कुर्ता या कुर्ता-पायजामा कभी नेताओं का ड्रेस कोड माना जाता था। खादी का कुर्ता पहने लोग को देखते ही उन्हें नेता समझ लेते थे। यही कारण था कि चुनाव के समय खादी की बिक्री बढ़ जाया करती थी। लेकिन समय के साथ नेताओं के रंग ढंग भी बदल गए हैं। उनका पहनावा भी बदल गया। यूं कहें कि खादी नेताजी की पसंद से गायब होने लगी है, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। मूल खादी की बिक्री काफी घट गई है। इसकी जगह लीलन ने ले ली है। वर्तमान समय में नेताजी की पहली पसंद लीलन बन गई।
मूल खादी की मांग घटने से खादी भंडार ने नेताओं को अपने और आकर्षित करने के लिए अपना ट्रेंड बदला और बाजार में लीलन उतार दिया है। इसकी मांग चुनाव के दिनों में काफी है। खादी कपड़े की दुकान चलाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व तक चुनाव के समय खादी की बिक्री बढ़ जाती थी। नेता के साथ ही विभिन्न पार्टियों के कार्यकर्ता भी खादी का कुर्ता पायजमा सिलवाते थे। लोग खादी पहन कर ही चुनाव प्रचार के लिए निकलते थे। लेकिन अब खादी का क्रेज काफी घट गया है। अब यदा कदा ही कोई इसे खरीदने आते हैं। मूल खादी की घटती बिक्री को देखते हुए खादी भंडार ने लीलन उतारा है। लीलन की बिक्री ठीक है।