डॉल्फिन पार्क में लगने लगा प्रवेश शुल्क
मुंगेर। सोझी घाट में वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा निर्मित डॉल्फिन पार्क में प्रवेश शुल्क लागू क
मुंगेर। सोझी घाट में वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा निर्मित डॉल्फिन पार्क में प्रवेश शुल्क लागू कर दिया गया है। पार्क में कार्यरत कर्मी दिनेश कुमार एवं अर्जुन साह ने कहा कि 9 अक्टूबर से ही डीएफओ के आदेश पर प्रति व्यक्ति पांच रुपये प्रवेश शुल्क के रूप में लिया जाता है।
वन प्रमंडल पदाधिकारी नीरज नारायण ने बताया कि दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित करने का मकसद लोगों को डॉल्फिन के प्रति जागरूक करना है। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए सभी सुविधाएं होंगी। उन्होंने बताया कि डॉल्फिन ट्रैकर भी रहेंगे, जो पर्यटक को गाइड करेंगे। यहां पर्यटक चांदनी रात में भी गंगा में सैर कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि पर्यटक पार्क में साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। उनके सुविधा के लिए ही यह प्रवेश शुल्क लगाया गया है।
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कई सुविधाएं है पर्यटकों के लिए
एक एकड़ भूमि में बनाए गए इस पार्क में पर्यटकों के लिए टूरिस्ट रेस्ट रूम के साथ ही बैठने के लिए बेंच भी अलग-अलग जलीय जीवों की आकृति में बनाए गए हैं। परिसर में शौचालय आदि की भी सुविधा है। परिसर में सिजनेबल फूल वाले पौधे भी लगाए गए हैं। गंगा किनारे सीढ़ी नुमा घाट भी बनाए गए हैं। जिससे लोग गंगा के नजदीक जाकर डॉल्फिन को देख सकें। यहां आने वालों लोगों के लिए पैदल पथ भी बनाया गया है। वॉच टावर की शक्ल में 15 फीट ऊंची टावर पर्यटकों के लिए गंगा में विचरण कर रहे जलीय जीव को देखने के लिए बनाया गया है। पार्क में वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से नौका विहार की भी व्यवस्था होगी। इसके लिए शुल्क भुगतान कर पर्यटक गंगा में सैर कर सकेंगे और डॉल्फिन के रोमांच का अनुभव कर सकेंगे। मत्स्य जीवी सहयोग समितियों के द्वारा भी नौका विहार की व्यवस्था होगी। मुंगेर वन प्रमंडल की ओर से समिति को नाव बनाने या खरीदने में सहयोग दी जाएगी। इसके बाद समिति की ओर से पर्यटकों को नौका विहार कराया जा सकेगा। यहां पर्यटक साल में 9 माह तक आनंद ले सकेंगे।
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डॉल्फिन ट्रैकर करेंगे गाइड
सोझी घाट में बने पर्यटक स्थल पर डॉल्फिन ट्रैकर भी तैनात किये गए है। ट्रैकर पर्यटकों के लिए गाइड का काम करते हैं। डीएफओ नीरज नारायण ने कहा कि मत्स्यजीवी सहयोग समिति और वन एवं पर्यावरण की नौका पर ये ट्रैकर तैनात रहेंगे और पर्यटकों को गंगा व डॉल्फिन की जानकारी देंगे। साथ ही इस क्षेत्र के आसपास के भौगोलिक स्थितियों की भी जानकारी देंगे। उन्होंने कहा कि पूरे देश में डॉल्फिन की जनसंख्या मात्र 2000 ही है। विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके डॉल्फिन को वर्ष 2009 में राष्ट्रीय जलीय जीव का दर्जा दिया गया। पटना से भागलपुर तक गंगा में डॉल्फिन की जनसंख्या 700 है, जो अन्य जगहों की तुलना में ज्यादा है।