किशोर न्याय अधिनियम दंडात्मक नहीं बल्कि सुधारात्मक है : एसपी
संवाद सूत्र मुंगेर किशोर न्याय अधिनियम 2015 और बिहार किशोर न्याय नियमावली 2017 के विभिन्
संवाद सूत्र, मुंगेर : किशोर न्याय अधिनियम 2015 और बिहार किशोर न्याय नियमावली 2017 के विभिन्न प्रावधानों की जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मंगलवार को एसपी कार्यालय सभागार में बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। जिला बाल संरक्षण इकाई मुंगेर की से आयोजित कार्यशाला में एसपी मानवजीत सिंह ढिल्लो, मुख्यालय डीएसपी सुमित कुमार, बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष रेखा कुमारी, जिला बाल संरक्षण इकाई पदाधिकारी राजन कुमार एवं विधि सह परीविक्षा पदाधिकारी राजेश कुमार आदि मौजूद थे।
एसपी ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम के सफलता को लेकर सभी थानों में बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है. बालकों के अधिकारियों की रक्षा हो सके. इसके लिए पुलिस कर्मियों को सजग रहने की जरूरत है. यह ध्यान रखना होगा कि किशोर न्याय अधिनियम दंडात्मक नहीं बल्कि सुधारात्मक है. इसलिए जरूरी है कि आप किशोर न्याय अधिनियम में बताए गए प्रावधानों के बारे में पूरी जानकारी रखें। प्रशिक्षकों ने किशोर न्याय अधिनियम 2015, बिहार किशोर न्याय नियमावली 2017 एवं पॉक्सो एक्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बताया गया कि 18 वर्ष से कम आयु के प्रत्येक व्यक्ति को बालक माना जाता है. साथ ही इनका संरक्षण बाल कल्याण समिति एवं किशोर न्याय परिषद के माध्यम से सुनिश्चित किया जाना है. यदि कोई विधि विवादित बालक बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी द्वारा निरूद्ध किया जाता है तो उसे किशोर न्याय परिषद में प्रस्तुत किया जाना अनिवार्य है. बच्चे की उम्र का निर्धारण बोर्ड सर्टिफिकेट, स्कूल में निबंधित जन्म तिथि, सक्षम पदाधिकारी द्वारा निर्गत जन्म प्रमाण पत्र से किया जाएगा। उक्त प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं रहने पर अंतिम स्थिति में मेडिकल बोर्ड के माध्यम से उम्र का निर्धारण किया जाएगा। यह भी जानकारी दी गई कि देख-रेख एवं संरक्षण के जरूरतमंद बच्चों को आवश्यक रुप से बाल कल्याण समिति मुंगेर के समक्ष प्रस्तुत करें।