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पेड़ नहीं बचेगा तो नहीं बचेगी आस्था

नहीं लगाए पेड़ तो भविष्य में पूजा के लिए भी भटकेंगे लोग प्राचीन समाज से पेड़ पौधों की पूजा क

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Jun 2019 10:17 PM (IST)Updated: Tue, 04 Jun 2019 10:17 PM (IST)
पेड़ नहीं बचेगा तो नहीं बचेगी आस्था

नहीं लगाए पेड़ तो भविष्य में पूजा के लिए भी भटकेंगे लोग

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प्राचीन समाज से पेड़ पौधों की पूजा करने की रही है परंपरा

त्रिभुवन चौधरी, हेमजापुर, संवाद सूत्र, (मुंगेर) : भारतीय सभ्यता संस्कृति में प्राचीन समय से पेड़ पौधे की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। वट सावित्री के त्योहार पर जहां महिलाएं वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति के लंबी उम्र का वरदान मांगती हैं। वहीं, मंगलवार और शनिवार को पीपल के पेड़ का पूजा करने की परंपरा है। इसके आलावा आंवला, तुलसी, पाकड़, बेल आदि जैसे पेड़ पौधे की भी वर्षों पूजा की जाती रही है। लेकिन, लोगों ने पेड़ पौधे से दूरी बना ली। यही कारण है कि अब देववृक्ष की कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई है। महिला सरोजनी देवी, लक्ष्मी देवी आदि ने कहा कि पहले गांव में पीपल, बरगद आदि के पेड़ हर गली मुहल्ले में मिल जाता था। अब वट सावित्री के मौके पर बरगद का पेड़ ढूंढना पड़ता है। वहीं, पीपल के पेड़ में जल अर्पित करने के लिए भी दूर तक पैदल जाना पड़ता है। अगर पेड़ पौधे को बचाने की दिशा में प्रयास नहीं किया गया, तो पूजा करने पर भी आफत आ जाएगी।

प्रतिवर्ष प्रखंड क्षेत्र में औसतन कम हो रही बारिश:

प्रखंड के दक्षिणी भाग स्थित 10 पंचायतों में जल संकट बढ़ा है। हालांकि, विभागीय अधिकारी लोगों को तृप्त करने के लिए पुरजोर प्रयास कर रहे हैं। हेमजापुर के वयोवृद्ध किसान अधिक महतो व अनिल महतो आदि ने कहा कि एनएच 80 पर गंगा तटवर्ती इलाका होने के बाद भी हेमजापुर, बाहाचौकी व शिवकुंड, सिघिया, पड़हम आदि इलाकों में प्रतिवर्ष बारिश में कमी आने से रबी की फसलों पर इसका व्यापक असर पड़ता जा रहा है। इन क्षेत्रों में कभी दर्जन भर बागीचे हुआ करते थे। आज बगीचों की जगह आलीशान घरों ने ले लिया है। एनएच पर लखीसराय से लेकर मुंगेर तक एनएच की शोभा बढ़ा रहे हजारों पेड़ काट डाले गये। इनके एवज में एनएच के दोनों तरफ जो पेड़ लगाए गए, वह भी उचित देखभाल के अभाव में बच नहीं पा रहे हैं।

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अधिक संख्या में पेड़ लगाने की है आवश्यकता:

चिता इस बात की करनी होगी कि जब पेड़ नहीं रहेंगे, तो हमारी आनेवाली पीढि़यां कैसे जीवित रह पाएगी। पर्वो का देश भारत में पेड़ों की पूजा की जाती है क्योंकि यह जीवन दायिनी है। सहज समझा जा सकता है कि जब पेड़ नहीं रहेगें तो आनेवाली पीढ़ी पूजा कैसे कर पाएगी।

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