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महावीर जयंती पर निकली भव्य शोभा यात्रा, जीओ और जीने दो का दिया संदेश

जेएनएन मुंगेर अहिसा और विश्व शांति के प्रवर्तक श्रमण महावीर की जयंती पर बुधवार को जैन

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 08:42 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 08:42 PM (IST)
महावीर जयंती पर निकली भव्य शोभा यात्रा, जीओ और जीने दो का दिया संदेश

जेएनएन, मुंगेर : अहिसा और विश्व शांति के प्रवर्तक श्रमण महावीर की जयंती पर बुधवार को जैन महावीर जयंती बुधवार को स्थानीय जैन मंदिर में धूमधाम से मनाई गई। इसके बाद शहर में प्रभातफेरी निकाली गई। झंडा पताखा के साथ ही भगवान महावीर की प्रतिमा रथ पर लेकर सैकड़ों की संख्या श्रद्धालु सड़क पर निकले। इस दौरान अनुयायी ने भगवान महावीर के जीओ और जीने दो के संदेश का प्रचार प्रसार किया। शोभा यात्रा में विवेक गोलू, राजेश जैन, प्रणव यादव, वार्ड पार्षद गोविद मंडल, सुजीत पोद्?दार, भावेश जैन, निर्मल जैन, अनिल साधवानी, रेडक्रास के सचिव राजकुमार खेमका, गोपाल गुप्ता, अमरनाथ केशरी, कौशल किशोर पाठक, लायंस सचिव हेमंत सिंह, अजय जैन, प्रेम वर्मा, रेणु जैन, सरिता टुल्लू, सुनीता टीका आदि मौजूद थी। अखिल भारतीय भाषा साहित्य समागम एवं बिहार हिदी साहित्य सम्मेलन जिला शाखा मुंगेर के संयुक्त तत्वाधान में सुभाष नगर माधव निवास में वरिष्ठ पत्रकार गिरिजाशंकर नलिन की अध्यक्षता में महावीर जयंती व काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गिरिजाशंकर नलिन ने कहा कि भगवान महावीर ने मनुष्य को स्वयं बदलने का प्रयास करते रहने का संदेश दिया। सुबोध छवि, श्री पुंज, डा बासुदेव प्रसाद ने कहा कि भगवान महावीर ने अहिसा और समर्पण पर विशेष जोर दिया।

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टेटिया बम्बर : महावीर जयंती सरस्वती शिशु मंदिर टेटिया बम्बर के प्रागंण में मनाया गया। विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक, शिक्षकों के द्वारा महावीर के तैलीय चित्र पर पुषपांजलि अर्पित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही सुप्रिया कुमारी ने बच्चों से महावीर के सत्य और अहिसा के विचार को आत्मसात करने की अपील की।

असरगंज : असरगंज संयाल साधन धाम के प्रांगन में जैन धर्म के 23 वें र्तीथंकर भगवान महावीर की जयंती पदमानंद मिश्र की अध्यक्षता में मनाई गई। भगवान महावीर आत्मज्ञ महान अवधुत संत थे। वह परम ज्ञानी थे। उन्होंने दिगंबर रहते हुए संपूर्ण जीवन समाधि व आत्मज्ञान तथा अहिसा परमो धर्म: का उपदेश दिया। इन्होंने नमो अरहरणम, नमो सिद्धरणम् मंत्र का प्रचार किया। इस धर्म के लोग माह दो माह तक अन्न व फल-फूल का त्याग कर केवल जल पीकर रहते हैं। नियमों का पालन करते हुए सभी लोग अपने गलती का माफी ईश्वर से मांगते हैं। भगवान महावीर मानवता एवं त्याग व अहिसा के अन्यतम उपासक थे।

जमालपुर : सरस्वती विद्या मंदिर दौलतपुर जमालपुर में बुधवार को भगवान महावीर की जयंती मनाई गई। स्कूल के भैया शिवम एवं अंशिका ने भगवान महावीर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर थे। वहीं, सत्संग आश्रम नयागांव परिसर में भगवान महावीर की जयंती निष्ठा पूर्वक मनाई गई। इस दौरान विशेष सत्संग, भजन एवं भगवान महावीर के जीवन और उपदेश पर कई वक्ताओं ने विस्तृत चर्चा की। सत्संग की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष अर्जुन तांती कर रहे थे। वहीं संचालन सचिव ओमप्रकाश गुप्ता कर रहे थे। अर्जुन तांती ने कहा कि सत्संग में सभी धर्मों के संतों का समान स्थान होता है। यही कारण है कि इस सत्संग आश्रम में आज भगवान महावीर की जयंती पूरी निष्ठा पूर्वक मनाई जा रही है। भगवान महावीर का मानना था कि इस संसार में अहिसा सबसे बड़ा धर्म है। प्रचार मंत्री राजन कुमार चौरसिया ने कहा जैन शब्द का अर्थ होता है विजेता। जिन्होंने समस्त इंद्रियों और अज्ञान पर विजय प्राप्त कर सामान्य ज्ञान प्राप्त कर लिया है उन्हें ही जिन कहा जाता है और इस मत और धर्म के पालन करने वाले को ही जैन कहा जाता है। भगवान महावीर ने आत्म शांति के लिए विश्व शांति का उपदेश देते हुए नर को नारायण बनने की प्रेरणा दी।


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