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मशरूम के उत्पादन से आत्मनिर्भर बन रही है मुंगेर की महिलाएं

जागरण सरोकार : नारी सशक्तीकरण - 200 से अधिक महिलाएं मशरूम उत्पादन कर बनी आर्थिक रूप

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 08:22 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 08:22 PM (IST)
मशरूम के उत्पादन से आत्मनिर्भर बन रही है मुंगेर की महिलाएं

जागरण सरोकार : नारी सशक्तीकरण - 200 से अधिक महिलाएं मशरूम उत्पादन कर बनी आर्थिक रूप से सबल

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- 1000 महिलाओं को कृषि विज्ञान केंद्र ने दिया मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण

हैदर अली, संवाद सूत्र, मुंगेर : मुंगेर की महिलाएं सफलता की नई कहानी लिख रही हैं। महिलाओं ने मशरूम उत्पादन को अपनी उन्नति का माध्यम बनाया और देखते ही देखते उनकी किस्मत संवर गई। एक दो नहीं, बल्कि दो सौ महिला किसान मशरूम उत्पादन कर आर्थिक रूप से खुद को सक्षम बना चुकी हैं। कृषि विज्ञान केंद्र की वैज्ञानिक रीतालाल ने कहा कि कल तक दो चार पैसे के लिए घर के पुरुषों पर निर्भर रहने वाली महिलाएं अब घर के आर्थिक स्थिति को सु²ढ़ करने में अहम योगदान दे रही हैं। इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा है। तिलकारी गांव की वीणा देवी मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए कृषि विश्वविद्यालय सबौर से सम्मानित भी हो चुकी है। वीणा देवी दस हजार प्रति महीना की दर से बचत कर रही हैं। तिलकारी गांव की यशोदा देवी भी प्रत्येक माह पांच हजार रुपये का मुनाफा कमा रही हैं। सदर प्रखंड की जूली देवी ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र में प्रशिक्षक रीता लाल से मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया। बाद में मशरूम का उत्पादन शुरू हुआ तो पति का भी सहयोग मिलने लगा। आज मैं अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा पा रही हूं। डॉ. रीतालाल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में अधिकांश महिलओं के पास खुद का खेत और जमीन नहीं होता है। ऐसे महिलाओं के लिए मशरूम का उत्पादन सबसे बेहतर विकल्प है। क्योंकि, मशरूम के उत्पादन के लिए अधिक जमीन की आवश्यकता नहीं होती है। घर के किसी हिस्से में आसानी से मशरूम की पैदावार की जा सकती है। वहीं, मशरूम का बाजार भी उपलब्ध है। इस लिए मशरूम उत्पादन के प्रति महिलाओं का झुकाव तेजी से बढ़ रहा है।

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केस स्टडी

कल्याणपुर की रंजु देवी ने कहा दो वर्ष पूर्व मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र में रीता लाल ने दिया। इसके बाद हमने मशरूम का उत्पादन शुरू किया। पहले घर के एक हिस्से में मशरूम की खेती की। अब उत्पादन भी बढ़ा और आमदनी भी। मशरूम बिकने की भी ¨चता नहीं है। दुकानदार खुद मशरूम घर आ कर ले जाते हैं। घर परिवार को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में सहयोग दे पा रही हूं।

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केस स्टडी -2

मय पंचायत की जुली देवी ने कहा कि मैंने पांच वर्ष मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया। घर के एक कमरे में मशरूम का उत्पादन शुरू किया। पहले पांच किलो मशरूम का उत्पादन हुआ। आमदनी हुई, तो मेरा हिम्मत बढ़ा। अब प्रत्येक माह 30 से 40 किलो मशरूम का उत्पादन कर रही हूं। इससे प्रत्येक माह पांच से 10 हजार रुपये का मुनाफा हो जा रहा है। अब तो आसपास की महिलाएं भी मशरूम उत्पादन से जुड़ने लगी है।


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