संस्कृति और संस्कार के लिए सत्संग आवश्यक : श्याम उपाध्याय
संवाद सूत्र, बरियारपुर (मुंगेर) : सत्संग से ही संस्कृति और संस्कार का पता चलता है। इसलिए समा
संवाद सूत्र, बरियारपुर (मुंगेर) : सत्संग से ही संस्कृति और संस्कार का पता चलता है। इसलिए समाज की पुरानी संस्कृति को बचाए रखने के लिए सत्संग जरूरी है। यह बातें फुलकिया में चल रहे सात दिवसीय भागवत कथा में वृंदावन से आए कथावाचक श्याम उपाध्याय ने कही। उपाध्याय ने कहा कि हमारे शास्त्रों में जितने भी चरित्र हैं, उससे सीख लेने की आवश्यकता है। भगवान की कथा मानव जीवन की व्यथा दूर कर सकती है। इसलिए आधुनिकता के इस युग में हमें अपनी संस्कृति को बचाने के लिए सत्संग के साथ साथ हमें सुंदर चरित्रों का अनुसरण करना चाहिए। कलयुग में भवसागर पार करने के लिए भगवान का नाम नौका के समान है। जिस पर चढ़ कर पार पाया जा सकता है। लेकिन, इसपर चढ़ने के लिए मनुष्य को अपने चरित्र, आचरण तथा कार्य में सुधार लाने की आवश्यकता है। भगवान की कथा सुनने से जीवन में सुख, शांति तथा समृद्धि आती है। मौके पर नवल किशोर चौधरी, नंदलाल चौधरी, सूर्यकांत चौधरी, राजेश चौधरी आदि मौजूद थे।