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शहरवासियों को मूलभूत सुविधा देने में नगर निगम हुआ फेल

मुंगेर । नगर निगम शहर वासियों को मूलभूत सुविधा देने में पूरी तरह से फ्लॉप हो गया है। सफ

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 11:54 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 11:54 PM (IST)
शहरवासियों को मूलभूत सुविधा देने में नगर निगम हुआ फेल

मुंगेर । नगर निगम शहर वासियों को मूलभूत सुविधा देने में पूरी तरह से फ्लॉप हो गया है। सफाईकर्मियों की हड़ताल के कारण शहर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। गलियों से लेकर मुख्य सड़कें कूड़ा डं¨पग स्पाट बन कर रह गया है। चौठ चांद और तीज पर लगाए गए अस्थायी दुकान के हटने के बाद पूजा सामग्री का कचड़ा सड़क पर ही पड़ा है। तीन दिनों से कचड़े का उठाव नहीं होने से अब बदबू लोगों की परेशानी बढ़ाने लगा है। नगरवासी निगम को कोसते हुए कूड़े कचड़े पर ही चलकर बाजार आने को मजबूर हैं। फिटकरी के अभाव में पानी सप्लाय बंद हो गया है। वार्ड नंबर 7, 19, 8 ऐसे कई इलाके की सड़कों पर ही गंदा पानी बह रहा है। हड़ताल खत्म करने के लिए अभी तक किसी ने यूनियन या सफाई कर्मियों से बात तक नहीं की है।

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शहरी पेयजल आपूर्ति भी है बंद

निगम के अंतर्गत आने वाले 45 वार्ड में पानी की सप्लाय बंद है। यूनियन नेता कारेलाल ने कह कि मेरे घर के तरफ भी कई दिनों से पेयजल आपूर्ति बंद है। कस्तूरबा वाटर व‌र्क्स से पानी की आपूर्ति की जाती थी। लेकिन, फिटकिरी खत्म होने के कारण पानी की आपूर्ति बंद कर दी गई है। ¨जदल से कर्ज लेकर काम चलाया जा रहा था। फिटकिरी खत्म हुए महीनों हो गया है। खरीदने को लेकर कोई पहल नहीं किया जा रहा है। नगरवासियों को बिना पानी दिए ही सालाना लगभग 20 वर्ष से टैक्स लिया जा रहा है। वार्ड 10 के मालती देवी ने कहा कि पिछले पंद्रह साल से हम पानी का टैक्स देते आ रहे है। जबकि 2003 से एक बूंद पानी आज तक नल में नहीं आया है। लेकिन, निगम जल टैक्स वसूलने से बाज नहीं आता है।

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नहीं हो रही कोई पहल

कर्मचारी यूनियन के महामंत्री ब्रह्मदेव महतो ने कहा कि गुरुवार को हड़ताल का तीसरा दिन है। कोई भी अधिकारी या निगम प्रशासन हड़ताल खत्म करने या अन्य मुद्दे पर बात करने सामने नहीं आया है। उन्होंने आरोप लगाया कि निगम प्रशासन नियमित मजदूरों को हटा कर दुबारा एनजीओ प्रथा की शुरुआत करना चाहता है। निगम से एनजीओ के द्वारा सफाई मद में लगभग 30 लाख रुपये प्रति माह खर्च आता था। जबकि उतने मजदूर को निगम का सीधे भुगतान में मात्र लगभग 16 लाख प्रति माह खर्च आता है। निगम जानबूझकर अपना बजट खराब करने की सोच रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि एनजीओ के आने से दुबारा कागजों पर ही सफाई होगी। कमीशनखोरी बढ़ जाएगा। यह अतिरिक्त बोझ निगम पर डालना कहीं से उचित नहीं होगा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन ने भुगतान के लिए पहल शुरू की है।

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बोली मेयर

मेयर रुमा राज ने कहा कि सफाईकर्मियों का वेतन नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्हें ससमय वेतन मिलना चाहिए। निगम का यह हल प्रभार में आयुक्त के रहने के कारण हुआ है। निगम आयुक्त कार्य के प्रति सजग नहीं है। गुरुवार को डीएम आनंद शर्मा के साथ निगम आयुक्त व मैंने समाहरणालय जाकर मुलाकात की। मेयर ने कहा कि हड़ताल पर बात नहीं हुई है। दूसरे मुद्दे पर बात हुई। सफाईकर्मियों के वेतन के बारे मे डीएम ने सफाई कर्मियों के खाते में वेतन का भुगतान करने के निर्देश दिए हैं।


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