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मेजर राजेश राय का परेड के दौरान निधन, गांव में शोक की लहर

मुंगेर के लाल मेजर राजेश कुमार राय की आकस्मिक मौत परेड के दौरान पुणे में हो गई। वह सदर प्रखंड के गंगा पार टिकरामपुर के निवासी थे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 May 2018 08:56 PM (IST)Updated: Fri, 25 May 2018 08:56 PM (IST)
मेजर राजेश राय का परेड के दौरान निधन, गांव में शोक की लहर
मेजर राजेश राय का परेड के दौरान निधन, गांव में शोक की लहर

मुंगेर। मुंगेर के लाल मेजर राजेश कुमार राय की आकस्मिक मौत परेड के दौरान पुणे में हो गई। वह सदर प्रखंड के गंगा पार टिकरामपुर के निवासी थे। पुणे में सेना के सूबेदार मेजर ऑर्डनरी लेफ्टिनेंट के पद पर कार्यरत थे। बताया जाता है कि पुणे में 15 महार रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट मेजर राजेश राय रोज सुबह की तरह पुणे रेजिमेंट के मैदान में आए। कुछ ही देर बाद परेड के दौरान उनकी तबियत बिगड़ी और वहीं गिर गए। निधन की सूचना पाकर परिवार के लोगों का रो रो कर बुरा हाल हो गया है। निधन के बाद शव को सेना के हेलीकॉप्टर से दानापुर सेना के एयरपोर्ट पर लाया गया। दानापुर से सेना के एंबुलेंस के द्वारा सदर प्रखंड के टीका रामपुर पंचायत उनके गांव शव को लाया गया। शव के आते ही गांव का माहौल गमगीन हो गया। इनके पिता पवन धारी राय अपने वृद्ध आंखों से तिरंगे में लिपटे बेटे का शव देखकर बैठे बैठे आंसू बहा रहे थे। वहीं इनकी पत्नी शकुंतला राय दहाड़ मारकर रो रही थी। उन्होंने कहा कि हमदोनों ने सपना देखा था कि 2 माह बाद परिवार के साथ गांव में खुशी-खुशी रहेंगे। हम गांव की सेवा करेंगे। वह हमेशा कहते थे कि रिटायरमेंट के बाद गांव के लड़कों को देश सेवा के लिए ट्रेनिग देंगे। उन्हें सेना में भर्ती होने के गूर सिखाएंगे। गांव में शिक्षा का अलख जगाएंगे। लेकिन शायद विधाता को यह मंजूर नहीं था। साथ जीने मरने की कसम खाकर हमें बेसहारा छोड़कर चले गए। ग्रामीण नवयुवकों की आंखें भी नम थी।ग्रामीण युवक पवन ने कहा कि सर बोलकर गए थे दो माह बाद तैयारी शरू करवाऊंगा। सैनिक के निधन की खबर सुनकर भाजपा नेता प्रणव यादव गंगा पार कर अपने कार्यकर्ताओं के साथ टीका रामपुर उनके परिवार को सांत्वना देने पहुंचे। उन्होंने मृतक राजेश कुमार राय के पाíथव शरीर पर माल्यार्पण किया। उनके पिता और पुत्र को ढांढस बढ़ाया। उन्होंने कहा कि राजेश बहादुर कर्तव्य परायण सैनिक थे। राजीव का सपना था कि गांव के लोग शिक्षित बने साक्षर हो और गांव में पढ़ाई-लिखाई का माहौल हो। गांव से लोग सेना में भर्ती हो रिटायरमेंट के बाद वह यह कार्य गांव में रहकर करना चाहते थे। जब भी छुट्टी में गांव आते लड़कों को लोंग जम्प हाई जम्प करवाते।दौड़ने पर विशेष ध्यान दिलवाते थे। उनके आकस्मिक निधन से गांव के युवा मर्माहत हैं। पूरे सैन्य विधि विधान के साथ अंतिम विदाई दी गई। उनके पुत्र ¨पटू ने मुखाग्नि दिया।

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