खड़गपुर की जनता की पुकार, उप मुख्यमंत्री के आगमन से विकास को मिलेगी रफ्तार
-नहीं बन सका पयर्टन क्षेत्र खड़गपुर झील सिधुवारिणी जलाशय स्टेडियम कला महाविद्यालय -उप मु
-नहीं बन सका पयर्टन क्षेत्र, खड़गपुर झील, सिधुवारिणी जलाशय, स्टेडियम, कला महाविद्यालय
-उप मुख्यमंत्री से खड़गपुर वासियों को है कई सौगात मिलने की उम्मीद
-एक मुख्यमंत्री, तीन कैबिनेट मंत्री और कई विधायक देने वाला खड़गपुर आज भी उपेक्षित
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प्वाइंटर्स
-16 वर्ष पूर्व कालेज की रखी गई थी आधारिशला
-02 बार मुख्यमंत्री भी पहुंच चुके हैं खड़गपुर
-2006 में सिधुवारिणी जलाशय योजना बंद
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रामप्रवेश सिंह, हवेली खड़गपुर (मुंगेर) :
मुंगेर । उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद शनिवार को हवेली खड़गपुर अनुमंडल में कई योजनाओं का शिलान्यास और शुभारंभ करेंगे। इसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है। एक मुख्यमंत्री, तीन कैबिनेट मंत्री और कई विधायक देने वाले खड़गपुर में विकास का पहिया रफ्तार में नहीं दौड़ सकी। पयर्टन क्षेत्र, खड़गपुर झील, सिधुवारिणी जलाशय, स्टेडियम, कला महाविद्यालय नहीं बन सका। मुख्य संविधान में कलाकृति उकरने वाले राष्ट्रीय स्तर के कलाकार नंद लाल बसू के नाम पर घोषणाएं बहुत हुई। लेकिन, इनके नाम पर खड़गपुर में कुछ नहीं हो सका। अब उप मुख्यमंत्री के दौरे से खड़गपुर वासियों में कई उम्मीदें की किरण दिखने लगी है। एक दशक पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने विश्वास यात्रा के दौरान हवेली खड़गपुर प्रखंड क्षेत्र के खैरा गांव पहुंचे थे और खैरा गांव वासियों को फ्लोराइड युक्त पानी से मुक्ति दिलाने की घोषणा की थी । आज खैरा वासियों को फ्लोराइड मुक्त पानी मिल रहा है। 18 जनवरी 2017 को मुख्यमंत्री अचानक भीमबांध पहुंचे थे । उन्होंने भीमबांध को विकसित करने की घोषणा की । उनके घोषणा के बाद उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी दो सितंबर 2018 को भीमबांध पहुंचकर पर्यटक स्थल भीमबांध को संवारने की आधारशिला रखी तत्पश्चात 27 दिसंबर 2019 को उप मुख्यमंत्री मोदी ने परिस्थितिकीय पर्यटन केंद्र का शुभारंभ किया । जिसकी खूबसूरती आज देखने लायक है । खड़गपुर वासियों में सूबे के उप मुख्यमंत्री पहली बार हवेली खड़गपुर आगमन को लेकर विकास की काफी उम्मीदें लगाए हैं।
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हवेली खड़गपुर झील का सुंदरीकरण
हवेली खड़गपुर प्रखंड मुख्यालय से लगभग तीन किलोमीटर दूर जंगल और पहाड़ की दहलीज पर स्थित प्रकृति की मधुर छटाओं को अपनी बांहों में समेटे हवेली खड़गपुर झील के सुंदरीकरण की घोषणा कर सकते हैं । खड़गपुर झील के सुंदरीकरण होने से पर्यटकों का यहां सालोभर आना जारी रहेगा । जिससे क्षेत्र के लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और बेरोजगारी की समस्या दूर होगी ।
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सिधुवारिणी जलाशय अधर में
सिधुवारिणी जलाशय योजना केंद्रीय सहायता से वर्ष 1982 में कुल लागत 445.30 लाख रुपये से बनना था। कुछ काम के बाद योजनाएं बंद हो गई । 2004 में योजना का लागत मूल्य 1587. 50 लाख निर्धारित किया गया योजना का कार्य तेज गति से चल रहा था और लगभग 328 लाख रुपये खर्च भी हो चुका था कि वर्ष 2006 में वन विभाग मुंगेर द्वारा आपत्ति दर्ज कर योजना बंद कर दिया गया था । इस योजनाओं के पूरा होने से 35 से 40 हजार एकड़ भूमि को सिचाई उपलब्ध हो सकती थी । इस योजनाओं से रमनकावाद, मुरादे, खाजेचक, औरैया, बारा, बासुदेवपुर, बनहरा, मिल्की, दरियापुर, जमघट, मंझगांय, ढरियार, गायघाट बसमाता सहित अन्य क्षेत्र के किसान लाभान्वित हो सकते हैं ।
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राजेंद्र श्रीकृष्ण उच्च विद्यालय में स्टेडियम निर्माण
नगर के राजेंद्र श्रीकृष्ण उच्च विद्यालय के परिसर में ढाई दशक पूर्व राज्य के एक कद्दावर नेता ने स्टेडियम निर्माण कराने की घोषणा की थी । लेकिन, आज तक स्टेडियम निर्माण के लिए नींव नहीं रखी जा सकी है । जिसके कारण क्षेत्र के प्रतिभावान खिलाड़ियों की प्रतिभा कुंठित हो रही है । क्षेत्र के खेल प्रेमी बुद्धिजीवियों समाजसेवियों सहित अन्य ने कई बार स्टेडियम निर्माण की मां जिला प्रशासन से लेकर राज्य सरकार तक की है लेकिन उनकी बातें अनसुनी की जा रही है ।
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नहीं बन सका कला महाविद्यालय
हवेली खड़गपुर की धरती पर अपनी कुछ के हुनर से अपने कलात्मक संस्कारों से लैस भारतीय कला की निधि को सम्मानित एवं गौरवान्वित करने वाले नंदलाल बोस जैसे प्रख्यात चित्रकार का जन्म हुआ । कला के क्षेत्र में इस मिट्टी के सपूत आचार्य बोस ने जो अपनी कूची से जीवन के हर पक्ष से जुड़े सुंदर और समूचे भाव को रचा है । उसे यहां की नई पीढ़ी रंग और तूलिका के माध्यम से सजीव कल्पना की शक्ति से कला की गरिमा को धवल परिचय से अनुनादित कर सके । इसके लिए आवश्यकता है एक कला महाविद्यालय की । 16 वर्ष पूर्व भागलपुर विश्वविद्यालय भागलपुर के तत्कालीन कुलपति डा. रामाश्रय प्रसाद ने हरि सिंह महाविद्यालय के परिसर में आचार्य नंदलाल बसु के याद में कला दीर्घा की आधारशिला रखी थी । आज तक एक ईट भी नहीं जोड़ा जा सका है । शिक्षाविद् सेवानिवृत्त प्राचार्य रामचरित्र प्रसाद सिंह, उमेश कुंवर उग्र, युवा कवि प्रदीप पाल, समाजसेवी राकेश चंद्र सिन्हा, रेखा सिंह चौहान, गजनफर अली खान सहित अन्य ने कला महाविद्यालय की स्थापना को लेकर कई बार मांगें भी उठाई , लेकिन पूरी नहीं हो सकी।