कौन बनेगा तारापुर की जनता की आंखों का तारा
मुंगेर । राजनीति क्षेत्र में तारापुर विधानसभा सीट की अलग पहचान है। कभी कांग्रेस का गढ़ माने
मुंगेर । राजनीति क्षेत्र में तारापुर विधानसभा सीट की अलग पहचान है। कभी कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र पर जदयू ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की है। अब उप चुनाव में जदयू जीत की बाउंड्री लगाने की तैयारी में है। उप चुनाव के जरिये चौथी बार जीत दर्ज करने के लिए पार्टी ने कमर कस लिया है। वहीं, महागठबंधन से अलग होकर राजद जदयू के विजयी रथ को रोकने में जुट गया है। लंबे समय तक इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा। इस बार महागठंबधन से हटकर कांग्रेस ने स्वर्ण समुदाय से प्रत्याशी उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। यहां दो दलों में सीधा लड़ाई जदयू और राजद के बीच होने की उम्मीद है। इस सीट पर तीन चुनाव से एक ही घर का कब्जा रहा है। 2005 में राजद से शकुनी चौधरी ने जीत दर्ज की थी, जदयू के प्रत्याशी राजीव सिंह को महज 611 वोट से हराया था। इसके बाद से जदयू ने चेहरा बदल दिया। नीता चौधरी को 2010 के चुनाव में उतारा और राजद के प्रत्याशी शकुनी चौधरी को मुंह खानी पड़ी। 2010 से लेकर 2020 तक तारापुर सीट जदयू का कब्जा रहा। 2021 में मेवालाल चौधरी के निधन के बाद उप चुनाव हो रहा है। 2005 के चुनाव में जदयू के प्रत्याशी रहे राजीव कुमार सिंह पर उप चुनाव में उतारकर दांव खेला है। राजद भी 2005 में खोयी अपनी पुरानी सीट को फिर से वापस लाने के लिए हर तरह के हथकंड़े अपना रहा है। रामविलास के लोजपा से प्रत्याशी मैदान में उतारा है। चुनाव में वोटों का बिखराव भी दिखेगा।
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2015 की तरह इस बार बदला समीकरण
2015 के चुनाव में समीकरण बदल गया था। 2015 के चुनाव में राजद, कांग्रेस और जदयू का गठबंधन था। गठबंधन के तहत जदयू को यह सीट मिली थी। 2020 में जदूय ने एनडीए गठबंधन में चुनाव लड़ा था। यहां से जदयू के प्रत्याशी मेवालाल चौधरी ने राजद प्रत्याशी सह पूर्व केंद्रीय मंत्री की बेटी दिव्या प्रकाश को हराया था। इस बार उप चुनाव में भी समीकरण बदला हुआ है। महागठबंधन से राजद से अलग हटकर कांग्रेस ने प्रत्याशी को खड़ा किया है। ऐसे में राजद के लिए कुछ परेशानी हो सकती है।
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जदयू और राजद ने पंचायत स्तर पर उतारे विधायक-पूर्व विधायक
तारापुर में सीट को लेकर पक्ष और विपक्ष की पार्टियों ने पूरी ताक झोंक दी है। दोनों पार्टियों की ओर से पंचायत स्तर पर विधायक, पूर्व विधायक और पार्टी के कद्दार नेताओं को चुनावी मैदान में उतार दिया है। जदयू की ओर से समुदाय आधारित पंचायतों में विधायक और पूर्व विधायकों को जिम्मेदारी सौंपी है। इसी तरह राजद ने भी तैयारी कर रखी है। कांग्रेस भी अपने नामचीन नेताओं को चुनावी समर में उतारा है। इस कारण यहां का मुकाबला काफी दिलचस्प होगा।