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आर्थिक तंगी के कारण गरीब बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई हो रही बाधित

मुंगेर। लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मद्देनजर कोरोना के चेन को तोड़ने के लिए सरक

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 12:57 AM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 12:57 AM (IST)
आर्थिक तंगी के कारण गरीब बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई हो रही बाधित

मुंगेर। लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मद्देनजर कोरोना के चेन को तोड़ने के लिए सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया है। लॉकडाउन के कारण छात्र-छात्राओं की पढ़ाई भी विभिन्न विद्यालयों द्वारा ऑनलाइन की जा रही है। लेकिन हवेली खड़गपुर क्षेत्र के सुदूर ग्रामीण व पहाड़ की तराई में रहने वाले छात्र छात्राएं की ऑनलाइन पढ़ाई में आर्थिक तंगी रोड़ा बनने लगी है। जिस कारण छात्र- छात्राओं को अपने भविष्य की चिता सताने लगी है। जिन अभिभावकों के तीन या चार बच्चे हैं और ऑनलाइन पढ़ाई का समय एक ही है तो ऐसी स्थिति में किन बच्चों को मोबाइल दें। इन परेशानियों के सबब से कई अभिभावकों को गुजरना पड़ रहा है। क्षेत्र के कई ऐसे गांव हैं जहां, गरीब अभिभावकों को आज भी स्मार्ट फोन नहीं है। कई ऐसे अभिभावक हैं जिन्हें स्मार्टफोन तो है लेकिन इस लॉकडाउन के अवधि आर्थिक तंगी के कारण बच्चों के पठन-पाठन के लिए मोबाइल में डाटा भरवायें या पेट भरें। यह प्रश्न अभिभावकों को परेशान कर रखा है।

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ऑनलाइन पढ़ाई में निजी स्कूल के बच्चे आगे

लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर निजी विद्यालय सरकारी विद्यालय से काफी आगे हैं। निजी स्कूलों के बच्चों के पास जहां स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट व अन्य इलेक्ट्रानिक डिवाइस है। वहीं सरकारी विद्यालय के बच्चों के पास ये सब साधन नहीं हैं। निजी स्कूलों ने तो ऑनलाइन क्लास भी कई दिन पहले ही शुरू कर दी थी। जबकि बहुत से सरकारी विद्यालयों में तो अभी तक शुरू नहीं हो सकी हैं। क्षेत्र में मध्य व प्राथमिक विद्यालय की संख्या 282 हैं। लगभग 30 की संख्या में निजी विद्यालय हैं । लगभग 12 इंटर स्तरीय विद्यालय हैं। एक डिग्री महाविद्यालय भी है। जिसमें लगभग 50 हजार से भी अधिक छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। इनमें से बहुत से विद्यार्थी ऐसे हैं, जिनके पास ऑनलाइन पढ़ाई के लिए कोई संसाधन नहीं हैं। हालात यह है कि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के पास सभी विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के संपर्क नंबर ही नहीं है। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई का सपना कैसे साकार किया जा सकता है। क्या कहते हैं अभिभावक

जटातरी गांव निवासी मोहन मुर्मू, मोतियातरी गांव निवासी पंकज सोरेन, बनबर्षा संथाली टोला निवासी हेमंत किस्कु, अग्रहण गांव निवासी प्रमोद सिंह ने बताया कि हम लोग मध्यवर्गीय परिवार से हैं। लॉकडाउन के कारण सारा धंधा बंद हो गया है। ऐसी स्थिति में पेट भरना भी मुश्किल है। बच्चों को स्मार्टफोन एवं स्मार्टफोन में डाटा कहां से भरवायें। आर्थिक तंगी के कारण घर में भी कलह शुरू हो गया है।


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