बिहार का एक गांव - जहां खतरा होते ही बिजली के खंभे बन जाते हैं अलार्म, जानिए
बिहार में नक्सल प्रभावित एक गांव एेसा है जहां लोगों ने खतरे का पता चलते ही लोगों को अलर्ट करने का अनोखा तरीका बना रखा है। वो शोर नहीं मचाते बल्कि कुछ एेसा करते हैं, पढ़िए...
मुंगेर [प्रणत भारती]। आमतौर पर किसी भी अप्रिय घटना होने पर लोगों को इकट्ठा करने के लिए लोग हो -हल्ला करते हैं। लेकिन बिहार का एक नक्सल प्रभावित गांव एेसा भी है जहां खतरे का पता चलते ही बिजली के लोहे के पोल खतरे की घंटी बजाने लगते हैं। इस गांव का नाम है-हवेली खडग़पुर क्षेत्र का रमनकाबाद गांव।
हवेली खडग़पुर प्रखंड के रमनकाबाद गांव में लोगों ने बिजली सप्लाइ के लिए लगाए गए बिजली के लोहे के पोल को खतरे की अलार्म की घंटी बना दिया है। गांव में आगलगी की घटना के अलावे किसी प्रकार की घटना हो जिसके निराकारण के लिये लोगों को इकट्ठा करने की बात होती है, तो बस इस गांव के ग्रामीण बिजली के लोहे के पोल को बजा देते हैं।
यह परंपरा वर्षों पुरानी है। ज्ञात हो कि वर्ष 2014 में मैट्रिक परीक्षा के दौरान पुलिस पब्लिक के बीच हुए पथराव व लाठी चार्ज में रमनकाबाद के ग्रामीणों द्वारा बिजली पोल बजा दिया गया था।
पोल बजने के साथ ही हमलोग समझ जाते हैं कि गांव में कहीं कोई अप्रिय घटना है। पोल की घंटी की आवाज सुनकर घर से उस ओर निकल पड़ते हैं जिधर से पोल की आवाज आ रही होती है। वहां पहुंचकर ग्रामीण स्थिति से निबटते हैं।
वर्ष 16 में रमनकाबाद निवासी श्रवण मोदी घर में आग लग गयी थी । जिसमें हजारों की संपत्ति का नुकसान हो गया था । वर्ष 16 में ही गांव में एक घर में चोर प्रवेश कर गया था। इसी वर्ष रात के वक्त एक जमुई से आ रही बेलोरो पलट गया था। लोगों की सहायता के लिये पोल बजाया गया था।
वर्ष 2018 जनवरी माह में प्रदीप चौरसिया के पुआल के टाल में आग लग गई थी इन जैसे मामलों में स्थिति से निबटने के लिए ग्रामीणों ने बिजली के पोल को बजाकर लोगों को इकत्रित किया था। इस बाबत ग्रामीण पंकज कुमार, अमित कुमार, आशुतोष यादव, शेखर कुमार, संजय कुमार, राजकिशोर, प्रदीप कुमार आदि ने कहा कि यह प्रथा पूर्वजों के ही समय चलती आ रही है।
कहा- एसडीपीओ, हवेली खडगपुर, मुंगेर
मैं हाल ही में खडगपुर में योगदान दिया हूं। अभी हमें इस संबंध में जानकारी नहीं है। लेकिन, अगर गांव वाले विपदा से बचने के लिए बिजली के पोल को अलार्म घंटी के रुप में इस्तेमाल करते हैं, तो यह सराहनीय है। दूसरे गांव के लोग भी इससे प्रेरणा ले सकते हैं। सिर्फ ध्यान रखना होगा कि इसका इस्तेमाल गलत कार्यों के लिए नहीं हो।
पोलस्त कुमार, एसडीपीओ, हवेली खडगपुर, मुंगेर