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घोरघट के क्षतिग्रस्त पुल का निर्माण नहीं होने से बढ़ी परेशानी

संवाद सूत्र, बरियारपुर(मुंगेर) : बरियारपुर-सुल्तानगंज मुख्य मार्ग पर मुंगेर को अन्य जिलों से जोड़न

By Edited By: Published: Sat, 23 May 2015 09:24 PM (IST)Updated: Sat, 23 May 2015 09:24 PM (IST)

संवाद सूत्र, बरियारपुर(मुंगेर) :

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बरियारपुर-सुल्तानगंज मुख्य मार्ग पर मुंगेर को अन्य जिलों से जोड़ने वाली सड़क पर घोरघट के क्षतिग्रस्त पुल की जगह नए पुल का निर्माण अधर में लटका हुआ है। इससे आम लोगों सहित व्यावसायियों को काफी परेशानी होती है। बाहर से माल मंगाने पर घोरघट में वाहन को अनलोड कर दूसरे वाहन से माल बरियारपुर लाना पड़ता है। इससे व्यवसायियों को अधिक राशि खर्च करनी पड़ रही है। इसकी कीमत ग्राहकों को चुकानी पड़ती है। इसके स्थान पर नए पुल बनाने का काम जमीन अधिग्रहण नहीं होने के कारण अधर में लटका हुआ है।

कब हुआ था पुल क्षतिग्रस्त :

दस वर्ष पूर्व सावन महीना में घोरघट का पुल बरसाती नदी की तेज धारा के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था। जिस दिन पुल क्षतिग्रस्त हुआ था, उसी दिन क्षतिग्रस्त पुल से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का काफिला उसपर से गुजरा था। आवागमन को सुचारू ढंग से चलाने के लिए बेली ब्रिज का निर्माण कराया गया था। लेकिन बेली ब्रिज के भी क्षतिग्रस्त हो जाने पर इस पुल से बड़े वाहनों के परिचालन पर तीन साल बाद ही रोक लगा दी गई। उस समय से बड़े वाहनों का गुजरना बाधित है।

क्या है बेली ब्रिज की स्थिति :

वर्तमान में बेली ब्रिज की स्थिति पूरी तरह जर्जर है। पुल के लोहे के चदरे के प्लेट कई जगहों पर सड़ चुक हैं। इसमें पैर जाने से लोग घायल हो जाते हैं। पुल छोटे वाहनों के चलने के लिए भी सुरक्षित नहीं रह गया है। किसी दिन यह जानलेवा हो सकता है।

क्या कहते हैं लोग :

स्थानीय पवन कुमार, हिमाशु कुमार, अर्जुन मंडल, अनिल यादव आदि का कहना है कि पुल के प्लेट को पूरी तरह ढीला हो जाने के कारण रात में छोटे वाहनों के गुजरने से इतनी जोर की आवाज निकलती है कि आसपास के लोग सो नहीं पाते है। पैदल चलने पर रात में टूटे प्लेटों के बीच पैर फंस जाने का खतरा बना रहता है। कई लोग इसमें घायल हो चुके हैं। एनएच 80 विभाग चार साल से अधिक समय से पुल निगम द्वारा पुल बनवा रहा है, लेकिन यह पूरा नहीं हो पाया है। कई मंत्री एवं विधायक जल्द जमीन का अधिग्रहण करने का आश्वासन दे चुके है।


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