स्ाचार क्त्राति में भी चिट्ठियों का चलन जारी
जमालपुर(मुंगेर) संवाद सहयोगी : संचार क्राति के इस युग में भी चिट्ठियों का चलन बरकरार है। वर्तमान दौर
जमालपुर(मुंगेर) संवाद सहयोगी : संचार क्राति के इस युग में भी चिट्ठियों का चलन बरकरार है। वर्तमान दौर में मोबाइल, इंटरनेट, ई-मेल, फेसबुक, वाटस एप्प, वाईफ ाई आदि श्रोत लोगों के लिए संदेश भेजने का सशक्त माध्यम बन गया है। बावजूद डाक सेवा की चमक कम नहीं हुई है और आज भी डाकसेवा व डाक टिकट से डाकघर को प्रतिमाह लाखों रूपये की आय हो रही है। सदियों पहले खबर को एक जगह से दूसरे जगह भेजने के लिए कबूतर का उपयोग किया जाता था। फिर समय और तकनीक बदला और चिट्टी भेजने के लिए डाक सेवा का अविष्कार हुआ। अब कुछ देश दूसरे देशों में जासूसी करने के लिए पक्षियों के अंक में मशीन लगाकर उसका उपयोग कर रहे हैं।
डाकघरों में आज भी अंतरदेशीय पत्र, लिफ ाफ ा, पोस्टकार्ड, डाक टिकट, निबंधित पत्रों की बिक्री हो रही है। विभागीय सूत्रों के अनुसार सिर्फ प्रधान डाकघर को प्रतिमाह लाखों रूपये की आय हो रही है। डाकघरों में अब बैंकिग सुविधा भी जल्द शुरू होगी। इस संबंध में प्रभारी उप डाकपाल दिनेश कुमार ने बताया कि जमालपुर, धरहरा में 6 उप डाकघर हैं। जिसमें हलीमपुर, सारोबाग, ईटहरी, सफि याबाद, पाटम, सदर बाजार का प्रतिदिन टर्नओवर 15 से 20 हजार तक है। पार्सल से भी सामग्री भेजने की रफ्तार कम नहीं हुई है। उन्होंने बताया की भारत की 70 प्रतिशत आबादी गावों में रहती है। उसमें आज भी चिट्टियों से संदेश का आदान-प्रदान अधिक हो रहा है। वहीं चिट्ठियों का चलन बरकरार रखने में सरकारी विभाग का अहम भूमिका है।
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एक नजर चिट्ठियों की कीमत पर
लिफ ाफ ा 5 रूपया, अंतरदेशीय कार्ड 2.50 पैसा, पोस्टकार्ड 1 रूपया, हवाई पत्र 8.50 रूपया, निबंधित पत्र 22 रूपया और डाक टिकट 1 रूपया से 100 रूपया तक के बिक रहे हैं।