साल दर साल दिखा रही तबाही का मंजर
मधुबनी। तटबंध में कैद होने से पूर्व कमला लक्ष्मी थीं। जब से सरकारी हुक्मरानों ने प्रकृति पर अपनी वर्चस्वता स्थापित करने के लिए नदियों को बांधना शुरू किया तब से नदी रौद्र रूप लेना शुरू कर तबाही मचाने लगी।
मधुबनी। तटबंध में कैद होने से पूर्व कमला लक्ष्मी थीं। जब से सरकारी हुक्मरानों ने प्रकृति पर अपनी वर्चस्वता स्थापित करने के लिए नदियों को बांधना शुरू किया तब से नदी रौद्र रूप लेना शुरू कर तबाही मचाने लगी।
कमला नदी सदानीरा थीं। सालों भर इसमें जल रहता था। जिससे नदी किनारे के लोग सुखी व संपन्न थे। लेकिन वर्ष 1954 में बांध में कैद कर देने के बाद साल दर साल जो तबाही मचानी शुरू की वह आज तक जारी है। गत वर्ष झंझारपुर अनुमंडल क्षेत्र में चार जगहों पर तटबंध में टूट हुई। जिससे हजारों की संख्या में लोग बेघर हो गए। तटबंध व ऊंची जगह पर शरण लेने को मजबूर हुए। कई जानें भी गर्इं।
गत वर्ष जयनगर व झंझारपुर में पांच जगहों पर टूट हुई। जिसमें भारी तबाही मची। नरूआर में तो सबसे अधिक बर्बादी हुई। जिसका अभी तक लोग कष्ट झेल रहे हैं। गोपलखा, भदुआर में भी यही हाल रहा।
कमजोर बिदु:
कमला बाबूबरही पिपराघाट तक आती है। वहां बलान नदी को आत्मसात कर कमला बलान के नाम से बचती है। कमला बलान पूर्वी तटबंध के बलभद्रपुर, परतापुर,
अंधराठाढ़ी, बाबूबहरही के 23 से 24 वें किमी सहित एक दर्जन जगह पर रिसाव की समस्या है। इन जगहों पर कमला तटबंध से सट कर बहाव करती है। यहां पर हालांकि कटावरोधी कार्य चल रहा है। लेकिन जिस तेजी से समय पूर्व काम हो जाना चाहिए वह नहीं हो रहा। साल में बाढ़ के समय प्रशासन की नींद टूटती है और व तटबंध मरम्मत की कार्रवाई करने को तैयार होती है। इस बार जो स्थिति वर्षा की है उससे लगता है कि शीघ्र से शीघ्र बांध मरम्मत का काम संपन्न हो जाना चाहिए।
कार्यपालक अभियंता बाढ़, झंझारपुर विमल कुमार ने बताया कि कमजोर बिदुओं पर कटाव निरोधी कार्य तेजी से चल रहा है। समय से पहले सभी काम पूरा कर लिया जाएगा।