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अतिक्रमण का शिकार परसा गांव का तालाब जीर्णोंद्धार को लालायित

मधुबनी। शासन-प्रशासन की उदासीनता के कारण जिले के सैकड़ों सरकारी तालाब विवादों में उलझ कर दम तोड़ रहा है। दखल-कब्जा और मालिकाना दावों के कानूनी पेच में उलझे अनेकों तालाबों के अस्तित्व की रक्षा के दिशा में विभागीय उदासीनता का खामियजा जिले के प्राचीन सैकड़ों तालाबों को भुगतना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Aug 2019 11:41 PM (IST)Updated: Wed, 28 Aug 2019 08:18 AM (IST)
अतिक्रमण का शिकार परसा गांव का तालाब जीर्णोंद्धार को लालायित

मधुबनी। शासन-प्रशासन की उदासीनता के कारण जिले के सैकड़ों सरकारी तालाब विवादों में उलझ कर दम तोड़ रहा है। दखल-कब्जा और मालिकाना दावों के कानूनी पेच में उलझे अनेकों तालाबों के अस्तित्व की रक्षा के दिशा में विभागीय उदासीनता का खामियजा जिले के प्राचीन सैकड़ों तालाबों को भुगतना पड़ रहा है। इसी तरह घोघरडीहा प्रखंड के परसा दक्षिणी पंचायत के परसा में तकरीबन चार बीधा रकवा वाले दफेदार तालाब के अतिक्रमण का मामला न्यायालय में लंबित होने की बात सामने आया है। इसी तरह जिले में बड़ी संख्या में सरकारी तालाबों को बचाने में विभागीय प्रयास नाकाफी साबित हो रहा है। लोगों का कहना है कि सरकारी प्रयास और आम लोगों की जागरुकता से तालाबों बचाया जा सकता है। तालाबों को अतिक्रमण से बचाना समय की मांग बन चुकी है। तालाबों के जीर्णोंद्धार के लिए जन आंदोलन की आवश्यकता महसुस की जा रही है। तालाबों को बचाने के लिए आम लोगों में अकुलाहट तो देखी जा रही है लेकिन विभागीय सहयोग के बगैर बदहाल तालाबों की सूरत बदलना नामुमकिन जैसा लग रहा है। समय रहते तालाबों को बचाने की समुचित प्रयास नही किया गया तो आने वाले वर्षों में अनेकों तालाबों की यादे ही शेष रह जाएगी।

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परसा गांव स्थित तालाब की तकरीबन 40 प्रतिशत जमीन अतिक्रमित जिले के घोघरडीहा प्रखंड के परसा उत्तरी पंचायत के परसा गांव के राम जानकी मंदिर स्थित तालाब जीर्णोंद्धार को लालायित है। करीब डेढ़ एकड़ रकवा वाले इस तालाब की तकरीबन 40 प्रतिशत जमीन पर अतिक्रमित हो गया है। तालाब की जमीन पर कई वर्षों से स्थानीय कई लोगों द्वारा अतिक्रमण किए जाने की शिकायत सामने आने के बाद भी विभाग इस ओर उदासीन बना है। तालाब के निकट राम जानकी मंदिर होने से यहां तालाब की अहमियत और बढ़ जाती है। बावजूद इसके इस तालाब के सेहत में सुधार की कोशिश नही हो रही है। तालाब में घाट नही होने और भिडा ध्वस्त हो जाने से तालाब की जमीन का अतिक्रमण से इसका रकवा साल दर साल कम होता जा रहा है। तालाब में जलकुंभी और उसकी बदबू से स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। तालाब की गहड़ाई बढ़ाने और इसक के दूषित जल को स्वच्छ बनाने के लिए इसकी उड़ाही करीब चार दशक से नही हो सकी है। आसपास के लोगों द्वारा तालाब में गंदगी डालने से बरसात के दिनों में जल संचय का लाभ तो मिलता है लेकिन लेकिन बरसात बाद तालाब के जल में कमी आने लगती है। तालाब के अतिक्रमण का सिलसिला लगे रहने से भविष्य में इस तालाब को बचाना मुश्किल हो सकता है। तालाब की बदहाली के कारण यहां छठ पूजा करने वालों में कमी देखी जा रही है। पूर्व में इस तालाब लोगों को सिचाई सुविधा का लाभ मिलता था।

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परसा धुनिया टोल स्थित सरकारी तालाब की हालत खराब घोघरडीहा प्रखंड के परसा उत्तरी पंचायत के परसा धुनिया टोल स्थित करीब डेढ़ बीधा रकवा वाले एक सरकारी तालाब की हालत दिनानुदिन खराब होती चली जा रही है। तीन ओर से अतिक्रमण का शिकार इस तालाब पर जाने के लिए एक मात्र रास्ता बचा है। तालाब के ए िभिडा स्थित मस्जिद होने से इसी रास्ते लोग तालाब पर पहुंच पाते है। अतिक्रमणकारियों से धीरे होने से इस तालाब के चहुंओर खुले में शौच की कुव्यवस्था पर अबतक अंकुश नही लग सका है। प्रदूषित इस तालाब में गंदगी, जलकुंभी और गाद होने से इसकी पहचान मिटने जैसा हो गया है। तालाब के जीर्णांद्धार की योजना नही बनाए जाने से इसके अतिक्रमणकारियों के कब्जे से मुक्त कराने की पहल संभव नही हो रहा है। अतिक्रमणकारियों द्वारा तालाब में गंदगी फेकनें की शिकायत बढ़ती ही जा रही है।

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धरातल पर नजर नहीं आ रहा धनखोईर गांव का कुरनमा तालाब घोघरडीहा प्रखंड के धनखोईर गांव का कुरनमा तालाब कई वर्षों से धरातल पर नजर नहीं आ रहा हैं। करीब दस बीधा वाले कुरनमा तालाब वाली जमीन का अतिक्रमणकारियों ने खेत में तब्दील कर दिया। तालाब जमीन पर खेती हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि एक दशक पूर्व तक इस तालाब के कुछ हिस्सा नजर आ रहा था। अतिक्रमण का सिलसिला बढ़ते रहने से तालाब को नामोनिशान पूरी तरह मिट गया। दो दशक पूर्व तक तालाब से सटे इसकी जमीन पर खेल आयोजन हुआ करता था। इस तालाब का वजूद मिट जाने से आसपास के गांवों में जल संकट की समस्या बनी रहती है। ग्रामीणें को माने तो विभाग के रिकार्ड में कुरनमा तालाब आज भी दर्ज होने के बाद भी विभागीय स्तर तालाब की अतिक्रमित जमीन की खोजबीन नही हो रही है। तालाब के निकट एक छोटा मंदिर आज भी देखा जा रहा है। वजूद समाप्त हो चुके कुरनमा तालाब को बचाने को बचाने का प्रयास होना चाहिए।

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गंभीरता से लिया जाता तालाबों से संबंधित शिकायत जिला मत्स्य पदाधिकारी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सूर्य प्रकाश राम ने बताया कि जिले के साढ़े चार हजार से अधिक सरकारी तालाबों के रखरखाव के लिए विभाग सजग है। सरकार के दिशा-निर्देश के आलोक में सरकारी तालाबों के अतिक्रमण की शिकायतों को गंभीरता से लिया जाता है। अतिक्रमित सरकारी तालाबों को निश्चित रुप से मुक्त कराया जाएगा। तालाबों को लेकर सरकार से मिले निर्देश के अनुसार कार्य शुरू कर दिया गया है। किसी भी सरकारी तालाब को अतिक्रमण नही होने दिया जाएगा। इसको लेकर सख्त कार्रवाई की जाएगी। लोगों को तालाबों के अतिक्रमण से परहेज करना चाहिए। विभाग तालाब संबंधित शिकायत पर गौर करते हुए समुचित कार्रवाई की जा रही है।

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बाक्स में

तालाबों की बदहाली, अतिक्रमण, उनकी अस्तित्व को लेकर आप अपने विचार से वाट्सएप नंबर 9472591165 पर अवगत करा सकते है।


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