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आज खुलेगा माता रानी का पट, श्रद्धा से साथ हो रही पूजा-अर्चना

मधुबनी। शारदीय नवरात्रा की षष्टी तिथि को बेलन्योती की रस्म श्रद्धा के साथ की गई। शुक्रवार को पूजित बेल के रस से मां को नेत्र देने के साथ दर्शन को पट खोल दिया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 11:15 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 11:15 PM (IST)
आज खुलेगा माता रानी का पट, श्रद्धा से साथ हो रही पूजा-अर्चना

मधुबनी। शारदीय नवरात्रा की षष्टी तिथि को बेलन्योती की रस्म श्रद्धा के साथ की गई। शुक्रवार को पूजित बेल के रस से मां को नेत्र देने के साथ दर्शन को पट खोल दिया जाएगा। पट खुलते ही पूजा स्थलों पर माता के दर्शन हेतु श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने की संभावना है। इसलिए पूजा आयोजकों ने कोरोना के कारण पूजा स्थलों पर दर्शन कराने की विशेष व्यवस्था की है। लोगों से भीड़ न लगाने व कतारबद्ध होकर माता के दर्शन करने की सलाह दे रहे हैं। पूजा स्थलों पर दुर्गा सप्तशती के पाठ से पूरा क्षेत्र गुंजायमान है। शहर में सप्ता, गिलेशन, कोतवाली चौक, भौआड़ा आदि सहित जिले भर में स्थापित मां दुर्गे के दर्शन के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। लोगों से कतारबद्ध व कोरोना नियम का पालन करते हुए दर्शन की व्यवस्था की गई है।

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रहिका: प्रखंड क्षेत्र में आज बेलन्योति कर माता की आराधना की गई। विभिन्न पूजा पंडालों से शाम में मैया की डोली लेकर लोग बेलवृक्ष की पूजा की। पूजित बेल को तोड़कर कल माता को नेत्र ज्योति दी जाएगी। जिसके बाद दर्शन को पट खोल दिया जाएगा।

जयनगर : : अनुमंडल मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों के दुर्गा मंदिर में गुरुवार को शारदीय नवरात्र के षष्ठी तिथि को विधिविधान से वेलनौती की पूजा अर्चना की गई। प्रखंड के धमियापट्टी गांव में इस अवसर पर धूमधाम से सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए गाजे बाजे के साथ जुलूस का आयोजन किया गया। पंडित प्रो प्रमोद मिश्र के नेतृत्व में विधिविधान से बेल के वृक्ष की पूजा अर्चना की गई।दुल्लीपट्टी दुर्गा मंदिर में भी विधि विधान से पंडित रघुनाथ झा के नेतृत्व में पूजा अर्चना की गई। जयनगर बस्ती स्थित दुर्गा मंदिर, परसा दुर्गा मंदिर, उसराही दुर्गा मंदिर, जयनगर मेन रोड स्थित दुर्गा मंदिर, स्टेशन परिसर स्थित दुर्गा मंदिर में भी इस अवसर पर विधि विधान से पूजा अर्चना की गई।

फुलपरास: नवरात्र के छठे दिन गुरुवार को अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न पूजा स्थल पर देवी के छठे स्वरूप कात्यायनी पूजा की गई। मौके पर घोघरडीहा, डेवढ़, हटनी,बथनाहा जीरो पॉइंट,निघमा,चिकना,रतौली, गाडाटोल,सिजौलिया,सिसबाबही,सिसबार,कालापट्टी सहित क्षेत्र अवस्थित दुर्गा मंदिर समेत अनुमंडल के अन्य मंदिरों में विधान पूर्वक दुर्गा सप्तशती का विधिवत पाठ कर पूजा अर्चना की गई। नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की अलग अलग दिन पूजा का प्रावधान है। आचार्य राजेश झा ने बताया कि दुर्गा पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ शारदीय नवरात्र के छठे दिन महामाया के कात्यायनी रूप का पूजा का विधान है। कहा कि देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए देवी महर्षि कात्यायन के आश्रम पर प्रकट हुई और महर्षि ने उन्हें अपना कन्या माना, इसीलिए माता कात्यायनी नाम से प्रसिद्ध हुई। कात्यायनी देवी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ,धर्म,काम,मोक्ष चारो फलों की प्राप्ति हो जाती है। लोक मान्यता है कि जिन कन्याओं के विवाह में संकट उतपन्न हो रहा हो उन्हें इस दिन मॉ कात्यायनी की उपासना करने से मनोवांच्छित वर की प्राप्ति होती है। आज बेलन्योति की रस्म की गई।

बिस्फी : प्रखंड क्षेत्र में श्रद्धालु श्रद्धा एवं उत्साह पूर्वक नवरात्रा पूजा में व्यस्त हैं। प्रखंड क्षेत्र में चहुटा, रघौली, सिगिया, बिस्फी, नरसाम भोजपण्डौल, सिमरी, खंगरैठा, सहित डेढ दर्जन जगहों पर मां भगवती की पूजा की जा रही है। भोजपण्डौल एवं सिमरी में अंकुरित भगवती की पूजा की जाती है। अन्य जगहों में मूर्ति बनाकर पूजा की जाती है। इसके अलावा चहुटा, पोखरौनी आदि श्रीराम मंदिरों मे भी नवरात्रा का अनुष्ठान चल रहा है। चहुटा श्री दुर्गा मंदिर में होम की प्रधानता है। पंडित श्री पवन झा का कहना है कि होम महज पर्यावरण को ही शुद्ध नहीं करता यह हम सभी जीवों के उत्पत्ति एवं पोषण में भी अपनी अग्रणी भूमिका निभाता है। नवरात्रा मनुष्य के लिए शक्ति संचय करने का समय माना गया है। हम सभी मानव प्राणी को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।


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