बारिश की संभावना नहीं, बादलों का रहेगा डेरा
समस्तीपुर। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एक के सत्तार ने बताया कि पिछले दिनों हुई बारिश और वर्तमान मौसम रबी फसलों के लिए लाभदायक है।
समस्तीपुर। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एक के सत्तार ने बताया कि पिछले दिनों हुई बारिश और वर्तमान मौसम रबी फसलों के लिए लाभदायक है। फिलहाल, बारिश की संभावना नहीं है। लेकिन, कहीं-कहीं आसमान में बादल छाए रहेंगे। सुबह देर तक कुहासा लगा रहेगा। शाम में भी कहीं-कहीं देर तक घना कुहासा लग सकता। मौसम में रबी फसलों की बोआई समय से हो गई है। इन फसलों पर यह पानी काफी लाभदायक होगा। कृषि वैज्ञानिक डॉ. दिव्यांशु शेखर का कहना है कि वर्तमान मौसम गेहूं, मक्का, तोरी व अन्य सब्जियों के लिए काफी बेहतर है। आलू के लिए हमें सावधानी बरतने की आवश्यकता है। बिहार के ज्यादातर किसानों की जमीन समतल होने के कारण पटवन में काफी परेशानी होती है। एक समान पानी नहीं पट पाता। ऐसे में बारिश फायदेमंद सिद्ध होगी। वर्षा के पानी में नाइट्रोजन होता है, जिससे कि फसलों में काफी हरियाली आती है और एक समान सभी फसलों पर पानी पड़ता है। लेकिन, आलू में कुहासा लगने के उपरांत पाला गिरने की संभावना रहती है।
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पाले की संभावना देख करें छिड़काव : किसान पाले की संभावना को देखते हुए दवा का छिड़काव करें। अगात तोरी वाली फसलों में भी लाही का प्रकोप देखने को मिल सकता है। किसान बचाव के लिए कीटनाशक दवा या फिर वैज्ञानिक से संपर्क करके छिड़काव अवश्य करें। जिन किसानों को गेहूं की बोआई नहीं हुई है, इस वर्षा से उन्हें और भी विलंब का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि, अगर खेत में पूर्व से नमी होगी तो इस बरसात से और भी नमी हो गई होगी। इससे गेहूं की बोआई और भी विलंब हो सकती है। इसका असर उनके उत्पादन पर पड़ेगा। सब्जियों के लिए भी यह समय काफी उपयुक्त माना जा रहा। डॉ. दिव्यांशु शेखर ने किसानों को यह सुझाव दी है कि जिन के खेतों में नमी है और जिन्होंने नेत्रजन का ऊपरी निवेश नहीं किया हो वह अपने खेतों में नेत्रजन दान का ऊपरी निवेश करें। तंबाकू की खेती करनेवाले किसानों के लिए भी यह मौसम काफी उपयुक्त माना गया है।
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बारिश से खेतों में पर्याप्त नमी :
किसानों के लिए जारी समसामयिक सुझाव में कहा गया है कि उत्तर बिहार में बारिश से खेतों में पर्याप्त नमी आ गई है। इसका फायदा उठाते हुए किसान खड़ी रबी फसलों जैसे आलू, गेहूं, मक्का, लहसून, मटर व चारे की फसल बरसीम व लुरसन में नेत्रजन उर्वरक का इस्तेमाल करें। गेहूं की 21-25 दिनों की फसल में प्रति हेक्टेयर 30 किलोग्राम नेत्रजन उर्वरक का व्यवहार करें। जबकि, पिछात किस्मों की बोआई प्राथमिकता से करें। किसान पिछात गेहूं की बोआई के लिए खेत की तैयारी में उर्वरक की मात्रा समयकालीन गेहूं की अपेक्षा घटाकर 40 किलोग्राम नेत्रजन, 40 किलोग्राम फॉस्फोरस एवं 20 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें। साथ ही, बीज की मात्रा को बढ़ाकर छिटकबां विधि से प्रति हेक्टेयर 150 किलोग्राम तथा सीड ड्रील से पंक्ति में बोआई के लिए 125 किलोग्राम बीज का व्यवहार करें। इस क्षेत्र के लिए पीबीडब्ल्यू 373, एचडी 2285, एचडी 2643, एचयूडब्ल्यू 234, डब्ल्यूआर 544, डीबीडब्ल्यू 14, एनडब्ल्यू 2036, एचडी 2967 तथा एचडब्ल्यू 2045 किस्में अनुशंसित हैं।
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सरसों छोड़कर सभी फसल को लाभ : कल्याणपुर बासुदेवपुर गांव के किसान दीपक कुमार सिंह का कहना है कि वर्षा होने से सरसों छोड़कर सभी सब्जी की फसल का पत्ता धुल गया। प्रकाश की किरण पड़ने पर प्रकाश संश्लेषण की क्रिया होने से फसल अच्छी होगी। वर्षा से नेत्रजन भी इसको मिल गया।
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पशुओं को खिलाएं सूखा चारा, पुआल से करें परहेज
-फोटो : 15 एसएएम 16
-ठंड के समय मवेशी को अपने शरीर को नार्मल करने के लिए 15 से 20 फीसद अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत
-ऐसे मौसम में पशुओं को शुद्ध पेयजल के साथ-साथ पौष्टिक चारा, दाना, मिनरल मिक्चर सहित दें
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पूसा ( समस्तीपुर), संस : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के पशु चिकित्सा एवं शोध संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद कुमार कहते हैं कि बदलते मौसम को देखते हुए हमें पशुओं के रखरखाव में बदलाव की आवश्यकता है। जनवरी व फरवरी महीने में पशुपालक सावधानीपूर्वक पशुओं की देखरेख करें। ऐसे मौसम में पशुओं को शुद्ध पेयजल के साथ-साथ पौष्टिक चारा, दाना, मिनरल मिक्चर सहित दें। पोषण पर विशेष ध्यान है हैं। ठंड के समय मवेशी को अपने शरीर को नार्मल करने के लिए 15 से 20 फीसद अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। इस ऊर्जा को हम खानपान के माध्यम से पशुओं को दे सकते हैं। आहार में गुड़ एवं तिलहनी जैसे तोरी की खली आदि देना चाहिए। हरा चारा जैसे बरसीम, लुरसन व जई आदि दें। सूखा चारा यानी गेहूं का भूसा अवश्य मिला कर दें। मवेशी के सूखे चारे में पुआल का उपयोग कम से कम करें। इससे मवेशी में डेगनाला नामक बीमारी होने की संभावना रहती है। अगर, पुआल देना ही है तो उसे पूरी तरह सुखा लें एवं सल्फेट मिक्चर मिलाकर इस चारा का उपयोग करें। डॉ. प्रमोद ने बताया कि दुधारू पशुओं को ढाई किलो दूध पर एक केजी अतिरिक्त दाना देना चाहिए। वहीं, भैंस हो तो दो किलो दूध पर एक किलो दाना देना चाहिए। ठंड को देखते हुए मवेशी को घर में रखें एवं उसके बिछावन पर हल्दी के सूखे पत्ते या अन्य पत्ते अवश्य बिछा दें। ठंड के मौसम में अपने मवेशी को प्रतिदिन स्नान न कराएं। धूप निकलने पर कपड़ा या बरस से उसे पोछ दें । इसके बाद भी अगर मवेशी का मन खुश दिखाई न पड़े तो पशुपालक और पशु चिकित्सक से सलाह लें।