Move to Jagran APP

रचनाओं में रहा ग्रामीण अंचल का पुट

जिले के झंझारपुर प्रखंड अंतर्गत लोहना गांव वासी व कल्याणी मिथिला संस्कृत कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. शिवशंकर श्रीनिवास मैथिली व ¨हदी साहित्य के पुरोधा हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Aug 2018 05:41 PM (IST)Updated: Sun, 19 Aug 2018 05:41 PM (IST)
रचनाओं में रहा ग्रामीण अंचल का पुट
रचनाओं में रहा ग्रामीण अंचल का पुट

मधुबनी। जिले के झंझारपुर प्रखंड अंतर्गत लोहना गांव वासी व कल्याणी मिथिला संस्कृत कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. शिवशंकर श्रीनिवास मैथिली व ¨हदी साहित्य के पुरोधा हैं। मैथिली व ¨हदी विषयों में एमए तथा पीएचडी डिग्री प्राप्त श्रीनिवास मैथिली-हिन्दी साहित्य में कथा, कविता, समीक्षा, समालोचना के क्षेत्र में निरन्तर लेखन किया है। इनकी पहली पुस्तक 'त्रिकोण' वर्ष 1985 में प्रकाशित हुई थी। कथाकार अशोक व शैलेन्द्र के साथ लिखी गई इस पुस्तक में ग्रामीण अंचलों का पुट दिखता है। कहते हैं कि इस पुस्तक की तथ्यात्मक विषयवस्तु को स्थापित विद्वान जीवकान्त व प्रभास कुमार चौधरी ने अपनी समीक्षा में सुन्दर ढंग से स्पष्ट किया था तथा मुझे बधाई दी थी। पहली पुस्तक प्रकाशित हुई तो उससे पूर्व मैं लघुकथा व छोटी-छोटी कविताओं की रचनाएं ही करता था। पहली पुस्तक प्रकाशित हुई तो मेरा उत्साह चौगुना हो गया। उसके उपरांत विभिन्न साहित्यिक मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफलता हासिल करने लगा मैं। सगर राति दीप जरय कार्यक्रम की शुरुआत किरण जयंती पर मेरे गांव लोहना में हुई थी। कहा कि अदहन,गामक लोक,बदलैत स्वर आदि पुस्तकें बाद में प्रकाशित हुईं। परन्तु पहली पुस्तक प्रकाशित हुई तो उस समय जो आनंद अनुभूति हुई वह आज भी अविस्मरणीय है। किरण सम्मान प्राप्त कथाकार श्री निवास ने कथा साहित्य में समाजिक चित्रण विषय पर पीएचडी डिग्री प्राप्त की है। किरण साहित्य मर्मज्ञ डा. श्री निवास की एकल कथा पाठ अभी कई साहित्यिक मंचों से निरंतर चल रहा है।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.