पंचमुखी महादेव
कलुआही प्रखंड की पुरसौलिया पंचायत के पश्चिम दिशा में विराजते है पंचमुख शिव¨लग।
मधुबनी। कलुआही प्रखंड की पुरसौलिया पंचायत के पश्चिम दिशा में विराजते है पंचमुख शिव¨लग। माना जाता है कि यह यहां प्राचीन काल से हैं जो राजा विराट के द्वारा ये प जित होते रहे।
इतिहास: साठ के दशक में कैथाही के संत राम रसिक दास ने अपने हठयोग के बल पर गांव के पश्चिम में पुरानी कमला की धारा के मुहाने एक कूप से खोज भव्य मंदिर का निमार्ण कराया था। करीब एक फुट का यह अछ्वुत शिव¨लग पंचमुखी हैं। जिनके सभी मुख एक ही अकृति और समान भाव भंगिमा वाले हैं, जो दुर्लभ माना जाता है। यहां पहुंचने के लिए एनएच 105 के बरदेपुर गणेश चौक से कलुआही-बासोपटृी में मिलने वाली करीब दो किमी की दूरी पर इस स्थान तक पैदल अथवा रिक्सा या अपने वाहन से भी पंहुचा जा सकता है।
तैयारियां : सावन की प्रत्येक सोमवारी को यहां जलाभिषेक को लेकर उमड़ने वाली भीड़ की सुविधा के लिए स्थानीय ग्रामीण सहयोग करते हैं। मंदिर परिसर का विकास नहीं होने से यहां आने वाले श्रद्धालुओं को होने वाली कठिनाई को देखते हुए विश्राम स्थल की अस्थाई व्यवस्था की गई है।
पांच मुख वाले इस शिव के दर्शन पूजन से सभी मनोकामना पूर्ण होती है। प्रति दिन सैकड़ों भक्तों के साथ सावन में सोमवारी को यहां दूर-दूर से लोग जलाभिषेक करने के लिए आते ह ं।'
-- शंभुनाथ झा, पुजारी
पंचमुखी शिव¨लग पर जलाभिषेक से होते पाप नष्ट
शिव कल्याणस्वरूप हैं। वे सकल चराचर का कल्याण करते हैं। वे जलाभिषेक से अति प्रसन्न होते हैं। सावन में वे जलाभिषेक करने वाले भक्तों पर खास कृपा रखते हैं। ये बातें शिव भक्त अजय कुमार झा ने कही। कहा कि सावन शिव पूजन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। उसमें भी पंचमुखी शिव¨लग पर जलाभिषेक करना तो दुर्लभ है। शिव का यह रूप पंच तत्व के प्रतीक हैं। इस मास में पंचमुखी शिव¨लग का पूजन निश्चित ही उतम फल देने वाला माना जाता है। सावन की सोमवारी को व्रत रख कर जलाभिषेक के साथ पूजन करने से सकल मनोरथ की प्राप्ति होती है। ऐसे श्रद्धालुओं पर शिव की कृपा सदा बनी रहती है। सोमवारी रूद्राभिषेक करने से सभी कष्टों का हरण होता है। जीवन सुखमय बीतता है।