समाहरणालय की छत पर लगाया गया वज्रपात की पूर्व सूचना देने वाला सेंसर
मधुबनी। समाहरणालय के सबसे ऊपरी छत पर वज्रपात की घटना का पूर्व सूचना देने वाला सेंसर लगाया गया है। कोलकाता से आए अभियंता तरूण कुमार घोष ने सोमवार की शाम सेंसर लगाने का कार्य प्रारंभ कर दिया।
मधुबनी। समाहरणालय के सबसे ऊपरी छत पर वज्रपात की घटना का पूर्व सूचना देने वाला सेंसर लगाया गया है। कोलकाता से आए अभियंता तरूण कुमार घोष ने सोमवार की शाम सेंसर लगाने का कार्य प्रारंभ कर दिया। यूएसए की कंपनी अर्थ नेटवकर्क द्वारा यह सेंसर उपलब्ध कराया गया है। जिसे भारतीय कंपनी पॉल्यूशन इक्यूपमेंट एंड कंट्रोल द्वारा सेंसर लगाने का कार्य किया जा रहा है। इस कंपनी के अभियंता तरूण कुमार ने बताया कि लाइटिग डिटेक्शन सिस्टम अर्थत एलडीएस प्रणाली के तहत इस सेंसर से 45 मिनट पहले वज्रपात होने की जानकारी मिल जाएगी। इस सेंसर के आसपास कोई बाधा नहीं होना चाहिए। 250 से 300 किमी एयर डिस्टेंशन पर इस सेंसर को लगाया जा रहा है। केवल एक सेंसर वज्रपात की सटीक जानकारी नहीं दे सकेगा। अगल-अलग जगहों पर स्थापित करीब दस सेंसर द्वारा भेजे जाने वाले संकेत के आधार पर वज्रपात होने के दो किमी परिधि का लोकेशन 45 मिनट पहले मिल जाएगा। आसमान में वज्रपात वाली बिजली बनने पर सेंसर भांप लेगा : अभियंता श्री घोष ने बताया कि अलग-अलग जगहों पर अधिष्ठापित सेंसर आसामान में वज्रपात वाली बिजली बनने पर उसे भांप लेगा। आसमान में बनने वाली जिस बिजली से वज्रपात नहीं होगा उसे सेंसर नहीं पकड़ेगा। बल्कि उसी बिजली को पकड़ेगा जिससे वज्रपात होगा। करीब दस सेंसर द्वारा उपलब्ध कराए गए संदेश के अध्ययन से जिस जगह वज्रपात होगी उसके दो किमी परिधि की जानकारी पुणे स्थित मौसम विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक भांप लेंगे। इसके बाद संबंधित क्षेत्र के लिए वज्रपात होने से 45 मिनट पूर्व अलर्ट जारी किया जाएगा। महाराष्ट्र में योजना सफल होने के बाद पूरे देश में सेंसर लगाने का निर्णय : अभियंता श्री घोष ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत सेंसर लगाने का कार्य देश में सबसे पहले महाराष्ट्र में किया गया था। वहां इस योजना के सफल होने तथा सेंसर द्वारा सटीक जानकारी मिलने के बाद पूरे देश में ढ़ाई सौ से तीन सौ किमी ऐयर डिस्टेंस पर सेंसर लगाने का कार्य प्रारंभ किया गया। इसी कड़ी में मधुबनी में सेंसर अधिष्ठापित किया गया है। बलिया व गोरखपुर में भी सेंसर लगाया जा चुका है। जबकि गया में सेंसर लगाने का कार्य भी शीघ्र किया जाएगा। पूर्वी चंपारण में भी सेंसर लगाने की योजना है। एलडीएस से मिलेगी सटीक जानकारी : आइआइटीएम, पुणे ने वज्रपात व तूफान की सटीक जानकारी के लिए लाइटनिग डिटेक्शन सिस्टम (एलडीएस) प्रणाली विकसित की है। यहां सेंसर लगाने से करीब तीन सौ किमी एयर डिस्टेंश में वज्रपात की करीब 45 मिनट पहले सटीक जानकारी उपलब्ध हो जाएगी। मधुबनी में इस प्रणाली के लगने से दरभंगा हवाई अड्डे को भी लाभ पहुंचेगा। वहां उड़ान से पहले तूफान या वज्रपात को लेकर अलर्ट किया जा सकेगा।