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प्राचीन तालाबों को बचाने से ही वर्षा जल का संचय संभव

मधुबनी। संस्कृति समृद्धि और पर्यावरण संरक्षण के प्रतीक तालाबों के अस्तित्व पर की रक्षा के गंभीरता से पहल करना होगा। वर्ना साल दर साल तालाबों के सूखने से बचाना मुश्किल हो जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Jul 2019 10:41 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jul 2019 10:41 PM (IST)
प्राचीन तालाबों को बचाने से ही वर्षा जल का संचय संभव
प्राचीन तालाबों को बचाने से ही वर्षा जल का संचय संभव

मधुबनी। संस्कृति, समृद्धि और पर्यावरण संरक्षण के प्रतीक तालाबों के अस्तित्व पर की रक्षा के गंभीरता से पहल करना होगा। वर्ना साल दर साल तालाबों के सूखने से बचाना मुश्किल हो जाएगा। बड़ी संख्या में तालाबों का नामोनिशान मिटता जा रहा है। शहरीकरण की होड़ में तालाब, सरोवर, कुंआ का दायरा सिमटता जा रहा हैं। तालाबों व उसके भिडे का अतिक्रमण का जंजाल भी फैलता चला गया। तालाबों के संरक्षण के दिशा में संबंधित विभाग की उदासीनता को नकारा नही जा सकता हैं। तालाबों के जीर्णोद्धार के दिशा में हर संभव प्रयास करना होगा नही तो जल की समस्या से जुझने के लिए तैयार रहना होगा। जल से लबालब तालाब गांव की समृद्धि का प्रतीक माना जाता रहा है। जिले में तेजी से तालाबों को सूखने से लोगों का जीवन सूखने लगा है। सूख रहा नेता जी चौक स्थित तालाब कभी जल से लबालब लदनियां प्रखंड के लछमिनिया पंचायत के नेता जी चौक स्थित तालाब सूखता जा रहा है। गर्मी के दिनों में इस तालाब को पूरी तरह सूखने से स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पशुपालकों के समक्ष पशुओं के पीने के पानी के लिए कठिनाई होने लगी है। लदनियां प्रखंड के करीब दो दर्जन से अधिक सरकारी तालाबों की हालत खराब बनी है। कभी जल से लबालब ऐसे तालाब पिछले कई वर्षों से खुद प्यासा है। जल के मुख्य श्रोत के रूप में तालाबों की जमीन का अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। गर्मी के दिनों में तालाबों के सूखने का सिलसिला जारी रहने के कारण प्रखंड में जल संकट का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। इस वर्ष जल संकट में इजाफा से प्रखंड वासियों को भारी परेशानी करा सामना करना पड़ा है। प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश चापाकलों को पानी देना बंद होने से लोग पानी के लिए कई दिनों तक भटकते देखे गए। प्रखंड के सरकारी तालाबों को बचाने में विभागीय उदासीनता से बड़ी संख्या में सरकारी तालाब अतिक्रमणकारियों के चंगुल में जाता दिखाई दे रहा है। ऐसे तालाबों को बचाने के लिए स्थानीय लोगों के प्रयास को प्रशासन द्वारा प्रोत्साहन नही मिलने से लोग चाहकर भी तालाबों के जीर्णोंद्धार के लिए कदम नही बढ़ा पाते है। सूखने के करीब पहुंचा धकजरी का तालाब कभी जल से लबालब बेनीपटटी प्रखंड के धकजरी स्थित तालाब पूरी तरह सूखने के करीब पहुंच गया है। प्रखंड में तालाबों को सूखने से लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। तालाबों के सूखने से आसपास के गांवों में जलस्तर में भारी गिरावट से यहां के दर्जनों चापाकल महीनों से पानी नहीं दे रहा है। तालाब के सूख जाने से लोगों को स्नान की सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है। पशुओं को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। मालूम हो कि प्रखंड के करीब पांच दर्जन तालाब जीर्णोद्धार की आस लगाए है। कभी कलकल करती जल से लबालब ऐसे तालाब पिछले कई वर्षों से खुद प्यासा है। जल के मुख्य श्रोत के रूप में तालाबों की जमीन का अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। अनेकों तालाबों की अतिक्रमित भूमि का मूल्य करोड़ों में आंकी जा सकती है। धार्मिक महता वाले जानो मानो तालाब का होगा जीर्णाेद्धार लखनौर प्रखंड के कछुआ गांव स्थित जानो मानो तालाब के जीर्णोंद्धार के लिए गांव के लोगों में आस जगी है। कलकल करती जल से लोगों को ठंडक पहुंचाने वाले यह तालाब वर्षो से जीर्णोद्धार की आस लगी थी। जानो मानो महोत्सव के संस्थापक अध्यक्ष सरोज मोहन झा ने बताया कि'दैनिक जागरण का 'सहेज लो हर बूंद' अभियान के तहत आम लोगों के सहयोग से जानो मानो तालाब के जीर्णोंद्धार कार्य शुरू किया जाएगा। जानो मानो तालाब का जीर्णोद्धार कर घाट निर्माण कराने की जरूरत है। जीर्णोद्धार कार्य में सरकारी स्तर के अलावा ग्रामीणों के सहयोग की जरूरत है। श्री झा ने कहा कि तालाब से सटे मां कल्याणी मंदिर सहित जानो मानो तालाब के जीर्णोंद्धार की मांग पूर्व में जिलाधिकारी से किया गया था। इस तालाब की सूरत बदलने के दिशा में विधान पार्षद सुमन कुमार महासेठ, पूर्व सांसद वीरेन्द्र कुमार चौधरी द्वारा पूर्व में सूबे के कई मंत्री को आवेदन दिया जा चुका है। तालाब से जलनिकासी के लिए मैवी गांव की ओर एक मार्ग और कछुआ गांव की ओर दूसरा मार्ग बंद कर दिया गया है। इस तालाब से आसपास के खेतों की सिचाई के लिए बनाया गया जलनिकासी बाले पाईप को जाम कर देने से किसानों को सिचाई सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है। आसपास के कुछ लोगों द्वारा गंदगी को इस तालाब में फेंके जाने के कारण तालाब की पवित्रता दूषित हो रहा है। दो बहन जानो मानो के नाम से प्रसिद्ध धार्मिक महता वाले कछुआ गांव की इस तालाब में स्नान के लिए कभी दूर-दूर से लोग आते थे। प्रति वर्ष गंगा दशहरा पर तालाब के निकट मां कल्याणी मंदिर परिसर में पांच दिवसीय जानो मानो महोत्सव का आयोजन कर तालाब और उसकी आवश्यकता पर बल दिया जाता रहा है। अकशपुरा स्थित प्राचीन तालाब की सेहत सुधारने का प्रयास रहिका प्रखंड के खजुरी पंचायत अन्तर्गत मौजा इजरा गांव अकशपुरा स्थित प्राचीन तालाब की सेहत सुधारने का प्रयास जारी रहा है। पिछलें कई वर्षो से जलकुंभी से पटा इस तालाब के जीर्णोद्धार के दिशा में तीन वर्षों से दैनिक जागरण द्वारा जारी अभियान अहम साबित हो रहा है। रहिका प्रखंड के मत्स्य विभाग के तहत सैरात सूची में शामिल करीब डेढ़ बीघा वाले इस तालाब का भिडा की जमीन को अतिक्रमित होने से रोकने के लिए स्थानीय लोगों की जागरूकता आयी है। मालूम हो कि इस तालाब को सूख जाने से मछली उत्पादन ठप हो चुका था। पिछले वर्ष जीर्णोद्धार के बाद तालाब में वर्षा जल के संचय से लोगों में काफी हर्ष देखा गया। इस वर्ष वर्षा के अभाव में तालाब सूखने के करीब पहुंच गया है। दैनिक जागरण द्वारा जारी अभियान के सहारे स्थानीय लोगों ने तालाब के चारों ओर बरगद, पीपल, सीमर, आम, जामुन, लीची, कटहल, गमहार सहित अन्य पेड़ों की हरियाली बहाल रखने में आगे रहे है। सहेज लो हर बूंद अभियान के तहत इस तालाब के जीर्णोद्धार कार्य को फिर से आगे बढ़ाने को संकल्पित यहां के ग्रामीणों ने तालाब के जीर्णोद्धार के दिशा में आवश्यक पहल शुरू करने पर बल दिया है।

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