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बेहतर शिक्षा के नाम पर अभिभावकों का आर्थिक शोषण

सरकारी विद्यालयों के अपेक्षा अधिकांश प्राइवेट स्कूलों में पठन-पाठन की स्थिति में कुछ खास बेहतर नही देखी जाती हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Feb 2019 10:16 PM (IST)Updated: Sun, 10 Feb 2019 10:16 PM (IST)
बेहतर शिक्षा के नाम पर अभिभावकों का आर्थिक शोषण

मुधबनी। सरकारी विद्यालयों के अपेक्षा अधिकांश प्राइवेट स्कूलों में पठन-पाठन की स्थिति में कुछ खास बेहतर नही देखी जाती हैं। अधिकांश प्राइवेट स्कूलों में बेहतर शिक्षा के नाम पर बच्चों के परिजनों से मोटी रकम की उगाही का खेल जारी रहता है। एडमिशन के दिनों में यह खेल और बढ़ जामा है। सुविधाओं की कमी झेल रहे अधिकांश प्राइवेट स्कूलों में पठन-पाठन की स्थिति सरकारी विद्यालयों के समान ही देखा जाता है। प्राइवेट स्कूल द्वारा बच्चों के परिजनों पर महंगे पुस्तकों के अलावा अन्य आर्थिक बोझ लाद दिया जाता है। प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन के नाम पर होती मोटी रकम की मांग प्राइवेट स्कूलों के संचालकों की मनमानी भी सामने आते रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन के नाम पर मोटी रकम की मांग की शिकायत सुनी जाती रही है। बच्चों के परिजनों शिक्षण व वाहन चार्ज का बोझ के तले कराहते रहते है। शिक्षा के नाम पर संचालित अनेकों प्राइवेट स्कूलों में बेहतर शिक्षा की पोल खुलती रही है। सरकार द्वारा निर्धारित प्रावधानों की कसौटी पर खड़ा नहीं उतरने वाले प्राइवेट स्कूलों में नियमों की अनदेखी के मामले बढ़ता ही जा रहा है। अनेक प्राइवेट स्कूलों के बच्चों को लाने-लेजाने के लिए वाहन व रिक्शों पर क्षमता से अधिक बच्चों को देखा जाता है। कई स्कूलों के बीमार वाहन से दुघर्टना की आशंका बनी रहती है। प्राइवेट स्कूल में शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के पालन में कोताही बरती जा रही है। इसके तहत प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए फ्री एडमिशन को कोटा का प्रावधान है। प्राइवेट स्कूलों की संख्या बढने से शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट शहर के राहुल कुमार ने दूरभाष पर बताया कि प्राइवेट स्कूल के संचालकों की मनमानी पर जिला प्रशासन को कारगर कदम उठाना चाहिए। ललन कुमार ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन के लिए मनमानी राशि की मांग की जाती है। बगैर निबंधित प्राइवेट स्कूल पर रोक लगाया जाना चाहिए। राजीव झा ने बताया कि बच्चों के बेहतर भविष्य के नाम पर प्राइवेट स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था चौपट हो चुकी है। सरकारी विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था बदहाल होने के कारण प्राइवेट स्कूलों की मनमानी बढ़ती ही जा रही है। वहीं खजौली स्थित संचालित एक प्राइवेट स्कूल के संचालक विजय ¨सह कुमार ने बताया कि प्राइवेट स्कूलों की संख्या बढ़ने से शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट को नकारा नही जा सकता है।

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