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लॉकडाउन का एक-एक पल दे रहा जीवन का नया अनुभव

मधुबनी। कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर देश-दुनिया में तबाही का आलम और देश में लॉकडाउन का अनुभव बुजुर्गो को भी अचंभित कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Apr 2020 11:06 PM (IST)Updated: Fri, 10 Apr 2020 06:12 AM (IST)
लॉकडाउन का एक-एक पल दे रहा जीवन का नया अनुभव
लॉकडाउन का एक-एक पल दे रहा जीवन का नया अनुभव

मधुबनी। कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर देश-दुनिया में तबाही का आलम और देश में लॉकडाउन का अनुभव बुजुर्गो को भी अचंभित कर दिया है। हालांकि, अमेरिका सहित अन्य विकसित कई देशों की अपेक्षा देश में कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार धीमी होना इनकी चिता को कम करता है। इधर, देश में कोरोना को लेकर लॉकडाउन को अति आवश्यक मानते हुए इसका पालन सख्ती से करने पर जोर देते है। बुजुर्गों का मानना है कि लॉकडाउन देश के हरेक लोगों को जिदंगी जीने के प्रति गंभीर बदलाव लाने को विवश कर दिया है। लॉकडाउन सकारात्मक सोच के साथ नए सिरे से समाज निर्माण की ओर अग्रसर कर दिया है। -------------------------'मुश्किल समय लोगों को काफी कुछ सिखा जाता है। विकट परिस्थिति से बाहर निकलना ही काबिलियत होती है। कोरोना से देश में उत्पन्न हालात से उबरने के लिए सिर्फ सरकार पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए। बल्कि प्रत्येक लोगों को सरकार के दिशा-निर्देश का पालन करते हुए तन, मन और धन से आगे आना चाहिए।'

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- कृष्ण आंबर झा, अवकाश प्राप्त कर्मी

'सरकार भारी आíथक नुकसान उठाते हुए देशवासियों की रक्षा के लिए लॉकडाउन जैसे प्रावधान लागू कर रखा है। हमें एक सच्चे राष्ट्र भक्त की तरह समाज की रक्षा को तैयार रहना चाहिए। देश और देश की रक्षा हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।'

- त्रिलोक नाथ झा, अवकाशप्राप्त कर्मी

'कोरोना से उबारने के लिए लॉकडाउन का पालन के साथ-साथ हरेक घरों में अनेक उपाय और साधन उपलब्ध है। जरुरत है उसे अमल में लाने की। खुद को स्वच्छ रखना और आसपास के क्षेत्र में स्वच्छता बहाल रखना हरेक लोगों का कर्तव्य होता है। लोग अपने-अपने कर्तव्य का पालन करे तो हम कोरोना से भी गंभीर संकट को दूर भगा सकते हैं।'

- प्रेम सुधा देवी, गृहिणी

'रोग और दुश्मन को कभी भी कम नहीं आंकना चाहिए। विश्वव्यापी मानवता के दुश्मन कोरोना के कहर को कम करने में भारत निश्चित रूप से सफल होगा। इसके संक्रमण से बचने और दूसरों को बचाने की दिशा-निर्देश के पालन मानवता की सेवा के समान है। लॉकडाउन के पालन से कृषक को भारी नुकसान के बाद भी वे समाज के अन्य वर्ग के लोगों को मदद में आगे आ रहे है।'

- राजेंद्र चौधरी, कृषक


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