Move to Jagran APP

सैरातों का प्रबंधन व अनुरक्षण अब पंचायती राज संस्थाओं के हवाले

मधुबनी। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के नियंत्रण में संचालित सैरातों (फेरी एवं घाट सहित) को अब त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के हवाले कर दिया गया है। अब इन सैरातों का प्रबंधन एवं अनुरक्षण राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की बजाए त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं-ग्राम पंचायत पंचायत समिति एवं जिला परिषद द्वारा किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Sep 2019 10:52 PM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2019 10:52 PM (IST)
सैरातों का प्रबंधन व अनुरक्षण अब पंचायती राज संस्थाओं के हवाले
सैरातों का प्रबंधन व अनुरक्षण अब पंचायती राज संस्थाओं के हवाले

मधुबनी। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के नियंत्रण में संचालित सैरातों (फेरी एवं घाट सहित) को अब त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के हवाले कर दिया गया है। अब इन सैरातों का प्रबंधन एवं अनुरक्षण राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की बजाए त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं-ग्राम पंचायत, पंचायत समिति एवं जिला परिषद द्वारा किया जाएगा। हालांकि इस नई व्यवस्था से अंतरजिला एवं अंतरराज्यीय सैरातों (फेरी एवं घाट सहित) को अलग रखा गया है। अंतरजिला एवं अंतरराज्यीय सैरातों का प्रबंधन एवं अनुरक्षण का दायित्व पंचायती राज संस्थाओं को नहीं हस्तांतरित किया गया है। इस संबंध में पंचायती राज विभाग के अपर सचिव हरेन्द्र नाथ दूबे ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर अनुरोध किया है कि त्रस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को सैरातों का प्रबंधन एवं अनुरक्षण संबंधी सौंपे गए दायित्वों का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए। पंचायती राज संस्थाओं को बंदोबस्ती की वित्तीय शक्ति भी तय कर दी गई : राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सैरातों की बंदोबस्ती के लिए त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं की वित्तीय शक्ति निर्धारित कर दी है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के नियंत्रण वाली सैरातों (फेरी एवं घाट सहित) का प्रबंधन, नियंत्रण एवं अनुरक्षण का दायित्व पंचायती राज विभाग के अधीन विभिन्न स्तर की पंचायती राज संस्थाओं को हस्तांतरित किया गया है। जिन सैरातों की बंदोबस्ती 50 हजार रुपये तक हो सकती है, उसे ग्राम पंचायत के हवाले कर दिया गया है। जबकि जिन सैरातों की बंदोबस्ती 50 हजार रुपये से अधिक से एक लाख रुपये तक में हो सकती है उसे पंचायत समिति को हस्तांतरित किया गया है। वहीं जिन सैरातों की बंदोबस्ती एक लाख रुपये से अधिक व पांच लाख रुपये तक हो सकती है, उसे जिला परिषद के हवाले कर दिया गया है। जबकि अंतरजिला एवं अंतरराज्यीय सैरातों का संचालन व बंदोबस्ती पहले की ही तरह राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के नियंत्रण के अधीन ही होता रहेगा। ग्रामीण पुलों के नियंत्रण का दायित्व जिला परिषद के हवाले : ग्राम पंचायतों एवं पंचायत समितियों को नौका, फेरी एवं जलमार्ग के अनुरक्षण एवं जिला परिषद को ग्रामीण पुल, तालाब, घाट, कुआं, नहर व नाली के अनुरक्षण एवं नियंत्रण का दायित्व सौंपा गया है। भूमि पर विभाग का स्वामित्व रहेगा बरकरार : सैरातों के प्रबंधन व अनुरक्षण का दायित्च पंचायती राज संस्थाओं को हस्तांतरित करने के बाद भी भूमि का स्वामित्व राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के ही अधीन रहेगा। केवल इस भूमि पर स्थित सैरातों का उपयोग करने संबंधी प्रशासनिक अधिकार पंचायती राज संस्थाओं के जिम्मे होगा। यदि भूमि पर स्थित सैरातों का उपयोग बंद हो जाएगी तो भूमि स्वत: राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के उपयोग में वापस हो जाएगी। भूमि से संबंधित विवरणी तथा राजस्व अभिलेख का संधारण अंचल कार्यालय द्वारा एक अलग पंजी में संधारित किया जाएगा। सीओ को यह सुनिश्चित करना होगा कि भूमि का उपयोग उसी प्रयोजन के लिए किया जाएगा, जिस प्रयोजन में हस्तांतरण के पहले रहा है। ऐसी भूमि पर किसी प्रकार का अतिक्रमण नहीं हो इसे भी सुनिश्चित करना है।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.