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स्थानीय अधिकारी और जनप्रतिनिधियों की रुचि विकास में नहीं

लोक सभा चुनाव के दिन ज्यों ज्यों नजदीक आ रहा है त्यों त्यों विभिन्न पार्टियों के स्थानीय नेताओं ने भी जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Apr 2019 12:06 AM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2019 06:29 AM (IST)
स्थानीय अधिकारी और जनप्रतिनिधियों की रुचि विकास में नहीं
स्थानीय अधिकारी और जनप्रतिनिधियों की रुचि विकास में नहीं

मधुबनी। लोक सभा चुनाव के दिन ज्यों ज्यों नजदीक आ रहा है त्यों त्यों विभिन्न पार्टियों के स्थानीय नेताओं ने भी जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है। हालांकि आम जनता भी अब समझदार हो गई है। वो किसी भी हालत में अपने पत्ते नही खोलना चाहती। जनता सब देख सुन रही है मगर कुछ बोलने को तैयार नही दिखती। कहीं भी निकल जाइए हर चौक चौराहे पर लोग राजनीतिक चर्चा में मशगूल दिखते हैं। भारत की आत्मा गांवों में बसती है। इसलिए जागरण प्रदेश के चुनावी माहौल का जायजा लेने गांव के लोगो के साथ चर्चा में जुटी है। रपट सुदेश मिश्र की।

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------------- नीचले स्तर पर है खामियां

लोगों का मूड भांपने के लिए बुधवार की सुबह सात बजे पर हम पस्टन गांव पहुंचे। सामने चाय की दुकान पर कुछ लोग चाय पी रहे थे। हम भी वहीं बैठ उनकी चर्चा में शामिल हो गए। सरकार के पिछले पांच सालों के कामों का विश्लेषण हो रहा था। करीब करीब हर गांव में विकास के बारे में पूछने पर एक ही जवाब मिलता है मोदी जी तो बढि़या काम कर रहे हैं। लेकिन जमीन पर काम कर रहे अधिकारी व नेता केंद्रीय योजनाओं को सही ढंग से आम लोगों तक नहीं पहुंचा रहे।

करीब 80 वर्षीय बुजुर्ग मो मनीर साह कह रहे थे कि सरकार काम तो कर रही है मगर अभी सिचाई, नाला, और शौचालय का बहुत काम बाकी है। साथ ही कब्रिस्तान की घेरेबंदी भी बहुत जरूरी है। जीतने के बाद नेताओं का इस गांव पे बिल्कुल ध्यान नही रहता है। इस पर राजू वहीं पान की दुकान कर रहे बाबूजी साह ने छूटते ही कहा कि पिछले कुछ सालों में काम तो खूब हुआ है, मगर बिचौलियों से पीछा नही छूट रहा।

युवा अखिलेश सिंह इस पर तपाक से कहते हैं सरकार विकास की नई लकीर खींच रही है। पस्टन जैसे सदियों से उपेक्षित गांव में भी अब काम हो रहा है। इस पर टुनटुन सिंह कहते हैं मगर स्ट्रीट लाइट, जल जमाव जर्जर पोलिग वायरिग, बदहाल स्वास्थ्य केंद्र आदि कामों का होना बहुत आवश्यक है। सरकार काम तो करना चाहती है। मगर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के भ्रष्टाचार की वजह से लोगों तक इसका पूरा लाभ नही पहुंच रहा है। महादलित टोले का आंगनवाड़ी केंद्र बदहाल है। गांव में नाले की सख्त जरूरत है।

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इनसेट:-2

विकास बना मुद्दा धीरे धीरे और लोग वहां जुटने लगे। राजनीतिक तापक्रम अब पूरी तरह गर्म हो चुका। मौके पर मौजूद छठु साहू, देवेंद्र साहू, अनिल राम, कैलू गुप्ता, दिगन झा, प्रकाश पंकज, बाबाजी नंददेव लाल, ललन सिंह आदि अपनी अपनी बातों से एक दूसरे को प्रभावित करने में जुटे थे। हालांकि जनकल्याणकारी योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिलने को लेकर सभी एक मत थे। सभी की शिकायत थी कि कोई भी नेता उनके गांव के विकास के प्रति संवेदनशील नहीं है।

ये देखना बहुत सुखद था कि की गांवों में भी अब धीरे धीरे जाति और धर्म की दीवार टूट रही है, खत्म हो रही है। लोग इन बुराइयों से परे विकास की बात कर रहे हैं। छट्ठू साहू ने कहा कि काम तो हुआ है मगर जनकल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार अब भी हावी है। इसमें हमलोग भी दोषी हैं। हमें भी भ्रष्टाचार मिटाने के लिए संकल्पित होना होगा। चर्चा के दौरान एक नई बात ये भी न•ार आई कि युवा पूरी तरह सरकार के साथ खड़े दिख रहे हैं। लोगों मे थोड़ा बहुत गुस्सा है मगर वो सरकार के प्रति ना होकर स्थानीय नेताओं और अधिकारियों के प्रति है। करीब दो घंटे वहां रुकने के बाद हमने अपनी बाइक उठाई और वापस लौट पड़े।

------------------ गांव एक नजर में :

ये गांव गनौली पंचायत का हिस्सा है। पंचायत में कुल 14 वार्ड है, जिसमें पहले चार इस गांव में आता है। गांव की जनसंख्या करीब 2200 और 1500 के करीब वोटर हैं। अतिपिछड़ा आबादी बहुल इस गांव में राजपूत और मुस्लिम की आबादी मुख्य है। गांव के ज्यादातर लोगों के जीवन यापन का मुख्य आधार कृषि है।


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