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जल संचय वाली जमीन नहीं होगी दूसरे विभागों को स्थानांतरित

मधुबनी। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में विभिन्न सार्वजनिक जल संचय वाले स्थलों की जमीन के हस्तांतरण पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने रोक लगा दी है। वहीं ऐसे सार्वजनिक जल निकायों पर किसी भी प्रकार के निर्माण पर भी पाबंदी लगा दी है गई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 10:47 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 06:31 AM (IST)
जल संचय वाली जमीन नहीं होगी दूसरे विभागों को स्थानांतरित

मधुबनी। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में विभिन्न सार्वजनिक जल संचय वाले स्थलों की जमीन के हस्तांतरण पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने रोक लगा दी है। वहीं ऐसे सार्वजनिक जल निकायों पर किसी भी प्रकार के निर्माण पर भी पाबंदी लगा दी है गई है। अभियान जल निकाय संरक्षण के तहत विभाग ने उक्त पाबंदी लगाई है। अब ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक जल निकायों- पोखर, मन, झील, आहर, पईन, नहर, नाला, जल निरसरण संरचनाओं आदि का अस्तित्व न केवल बरकरार रहेगा, बल्कि इसे अतिक्रमण से मुक्त भी कराया जाएगा। उक्त अभियान के प्रभावी होने से अब जिस जमीन पर खंता, गड्ढ़ा, बांध, चौर, नदी कछार, सोता रहेगा, उस भूमि का हस्तानांतरण किसी अन्य विभाग को नहीं किया जाएगा। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव ने समाहर्ता को इस बारे में निर्देश जारी किया है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग तथा विधि विभाग से परामर्श के बाद लिया गया निर्णय :

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पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग तथा विधि विभाग से परामर्श के उपरांत राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने उक्त निर्णय लिया है। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य जल निकायों- पोखर, मन, झील, आहर, पईन, नहर, नाला, जल निरसरण संरचनाओं एवं नदी को अतिक्रमण से मुक्त कराने हेतु अभियान जल निकाय संरक्षण को प्रभावी बना है। साथ ही उक्त अभियान के संचालन एवं भूमि की प्रकृति खंता, गड्ढ़ा, बांध, चौर, नदी कछार, सोता आदि होने की स्थिति में ऐसे जल निकायों के हस्तांतरण पर रोक लगाना है। ताकि, जल के प्राकृतिक स्त्रोत का अस्तित्व बरकरार रह सके। वहीं उक्त विभागीय निर्देश का पालन करने हेतु अपर समाहर्ता दुर्गानंद झा ने जिले के सभी एसडीओ, डीसीएलआर व सीओ को पत्र भेज दिया है। इस मामले में कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट भी उपलब्ध कराने को कहा गया है।


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