मिथिला पेंटिग के जरिए बच्चों को शिक्षित कर रहीं रिकू देवी
मधुबनी । कला का कोई मोल नहीं होता। कला एक साधना है। कला के जरिए कलाकार अपनी साधना में पूरी तरह उतरकर कामयाबी हासिल करता है। इस तरह कला कलाकारों के लिए वरदान साबित होता है।
मधुबनी । कला का कोई मोल नहीं होता। कला एक साधना है। कला के जरिए कलाकार अपनी साधना में पूरी तरह उतरकर कामयाबी हासिल करता है। इस तरह कला कलाकारों के लिए वरदान साबित होता है। इस सफर में राजनगर के प्रखंड के सिमरी पात्र टोल निवासी नवल कुमार झा की पत्नी रिकू देवी मिथिला पेंटिग के जरिए अपने पुत्र पुरुषोत्तम कुमार झा एवं पुत्री शांम्भवी झा की शिक्षा-दीक्षा की वहन कर रही है। दिल्ली में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में कार्यरत रिकू देवी के पति नवल कुमार झा के आमदनी से परिवार के अन्य खर्च का वहन होता है। करीब 25 वर्षों से पेंटिग के क्षेत्र में सक्रिय रिकू देवी अब तक सरस मेला पटना, दिल्ली हाट, मुंबई, बेंगलुरु सहित देश के एक दर्जन से अधिक शहरों में प्रदर्शनी में अपनी उत्कृष्ट कलाकृति का परचम लहरा चुकी है। माता इंदिरा देवी से मिथिला पेंटिग सीखने वाली रिकू देवी पेंटिग से प्रतिवर्ष दो लाख रुपये की आमदनी कर लेती हैं। मिथिला पेटिग के उत्कृष्ट कलाकृतियों के लिए नेहरू युवा केंद्र सहित अन्य संस्थानों द्वारा प्रशस्ति पत्र व अनेकों मंचों पर सम्मानित रिकू देवी मिथिला पेंटिग के क्षेत्र में नित्य नई कलाकृतियां बनाने में जुटी रहती हैं। रिकू देवी ने बताया कि मिथिला पेंटिग वाली कलाकृतियों की ऑनलाइन आपूर्ति कर रही है। मिथिला पेंटिग वाले जींस पैंट, कुर्ता-पजामा, टी शर्ट, चुनरी, चश्मा, कलम, डायरी, चूड़ी, लहठी, साड़ी, सूट सहित अन्य वस्तुओं की डिमांड बढी है। देश-विदेश में फैशन के अनुरूप मिथिला पेंटिग को बढ़ावा देकर इसे कलाकारों को रोजगार का सशक्त माध्यम बनाया जा सकता है। कलाकारों की आर्थिक स्थिति मजबूत की जा सकती है।