स्वतंत्रता आंदोलन में जहां दो शहीदों ने दी कुर्बानी, वह जगह अतिक्रमित
मधुबनी। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान शहीद अकलू साह और गणेशी ठाकुर के शहर के मिलन चौक स्थित स्मारक को सम्मान नहीं मिल रहा है।
मधुबनी। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान शहीद अकलू साह और गणेशी ठाकुर के शहर के मिलन चौक स्थित स्मारक को सम्मान नहीं मिल रहा है। इस स्मारक के निकट अतिक्रमण की समस्या दूर नहीं हो रही है। शहर के नोनिया टोल निवासी शहीद अकलू साह और गणेशी ठाकुर के इस स्मारक पर प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस तथा गणतंत्र दिवस पर उनकी स्मृति में पुष्पांजलि की जाती है। मगर, इसके बाद कोई सुध नहीं लेते।
मालूम हो कि भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान पूर्व सांसद व भाकपा के वरिष्ठ नेता स्व. भोगेंद्र झा, स्व. तेजनारायण झा, स्व. चतुरानन मिश्र आदि नेताओं के नेतृत्व में 14 अगस्त 1942 को शहर के सूड़ी स्कूल से सैकड़ों की संख्या में लोगों का जुलूस नगर थाना पर तिरंगा फहराने के लिए चले थे। जुलूस को थाना चौक पर पहुंचने से पूर्व जुलूस को मिलन चौक पर पहुंचने पर तत्कालीन दारोगा राजबली ठाकुर के आदेश पर जुलूस पर इन पुलिस द्वारा गोली चलाई गई। इसमें गणेशी ठाकुर (24) और अकलू साह (28) शहीद हो गए थे।
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'आजादी की लड़ाई में आगे रहने वालों की गरिमा बहाल रखने का हरसंभव प्रयास होना चाहिए। आजादी के बाद से देश की स्थिति व्यापक स्तर पर बदलाव आया है। स्वतंत्रता सेनानियों व उनके परिजनों के कल्याण की योजनाओं को लागू करने में तेजी लाने की जरुरत है। युवाओं के सहारे देश की फिर से तकदीर लिखी जा सकती है।'
- सूर्यकांत झा, स्वतंत्रता सेनानी
'आजादी के आठ दशक बाद देश को ऊंचाई की ओर ले जाने के लिए ईमानदारी पूर्वक प्रयास की जरुरत है। विकास में युवाओं की भागीदारी अहम है। देश को विश्व गुरु के रूप में फिर से स्थापित करने के लिए हरेक लोगों को एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा। समाज के सभी वर्गो के लोगों की विकास से ही विकासशील देश का सपना साकार होगा।'
- चंद्रकांत झा, स्वतंत्रता सेनानी