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प्रदूषण से पृथ्वी की रक्षा को हरियाली जरूरी

जन्म से लेकर मृत्यु तक की सफर में पृथ्वी जैसे और कुछ भी नही।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 11:00 PM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 06:27 AM (IST)
प्रदूषण से पृथ्वी की रक्षा को हरियाली जरूरी

मधुबनी। जन्म से लेकर मृत्यु तक की सफर में पृथ्वी जैसे और कुछ भी नही। मानव जाति ही नही पशुओं के लिए भी ईश्वर की अद्भुत रचना पृथ्वी की रक्षा के लिए हम कितने सजग है। जलवायु में विभिन्न रुप से परिर्वतन होना चिता का विषय है। हमें जलवायु परिर्वतन से बचाव के साथ पेड़-पौधा लगाने पर गहन चितन करना होगा। तभी हम पृथ्वी को बचा सकते हैं। खेतों में रासायनिक की जगह जैविक खाद का प्रयोग से खेतों में उर्वरा शक्ति बनी रहेगी। प्रकृति की अनमोल देन पेड़-पौधों का सीधा संबंध पर्यावरण से जुड़ा होने के साथ ही इससे प्राप्त होने वाले ऑक्सीजन पर हमारा जीवन निर्भर होता है। पृथ्वी की रक्षा के लिए हरियाली बहाल रखना होगा। शहरीकरण के होड़ में पृथ्वी का संरक्षण के लिए हम सजग नहीं हुए तो भविष्य में इसका खामियाजा आने वाले पीढ़ी को भुगतना पड़ सकता है। इस पर हमें गहन मंथन करना होगा। आइए आज विश्व पृथ्वी दिवस पर पृथ्वी की रक्षा का संकल्प ले। पॉलीथिन के टुकड़ों की भरमार जिला मुख्यालय में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय की स्थापना नहीं हो सका है। हालांकि प्रखंड स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण संबंधी कार्यालय खोले जाने की योजना बनाई गई है। पॉलीथिन कैरी बैग के उपयोग पर रोक के बाद भी इसका उपयोग चोरी-छिपे जारी है। शहर के कूड़ा-करकट से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के खेतों तक पॉलीथिन के टुकड़ों की भरमार देखी जा सकती है। पॉलीथिन का उपयोग काफी हानिकार माने जाने के अलावा खेतों के लिए भी यह नुकसानदायक हो रहा है। बीमार वाहनों के परिचालन से इसके साइलेंसर से निकलने वाला अत्यधिक धुआं पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है। ऐसे वाहनों के परिचालन पर विभागीय कार्रवाई नाम मात्र ही संभव हो पा रहा है। खेतों के धुआं से प्रदूषित हो रहा वातावरण खेतों में बर्बाद हो चुकी फसलों को आग के हवाले कर दिए जाने से इसका धुआं वातावरण को प्रदूषित कर रहा है। शहरी क्षेत्रों में घर से निकाले गए अवशिष्ट का सार्वजनिक स्थल पर रख कर जला दिया जाता है। जिसमें पॉलीथिन की मात्रा अधिक होने से इसकी धुआं आसपास के बीमार लोगों को परेशान कर देता है। जिले के विभिन्न हिस्सों में निजी क्लीनिकों के आसपास मेडिकल कचरे में आग लगा देने से इसका धुआं पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा रहा है। साल दर साल जल, वायु व ध्वनि प्रदूषण का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। वाहनों के परिचालन के समय अत्यधिक मात्रा में धूल को वायु में घूलने के साथ सड़क किनारे कूड़ा-करकट, घर निर्माण के लिए रखे गए मिट्टी-बालू और सड़क निर्माण वाले इलाकों में धूल से निजात पाना कठिन हो गया है।

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धरती को बचाने के लिए लगाएं अधिकाधिक पेड़ पर्यावरण संकट से उत्पन्न गलोबल वार्मिंग की समस्या से निजात को पर्यावरण संरक्षण के दिशा में गैर सरकारी स्तर पर कई संगठनों द्वारा पौधरोपन व पौधदान पर अमल किया जा रहा है। इस दिशा में समाजसेवी पंडित ऋषिनाथ ने पौधरोपण के संकल्प के साथ पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरुकता की अनुकरणीय कार्य कर रहे हैं। श्री झा वर्ष 2021 तक 51 हजार पौधे वितरण के लक्ष्य के तहत प्रतिमाह 100 अधिक पौधे वितरण कर रहे हैं। वहीं पौधों की देखभाल का संकल्प भी दिलाते है।


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