मानसून बारिश के साथ लौटी किसानों के चेहरे की मुस्कान
काफी इंतजार के बाद मानसून शुरू होते ही किसानों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है।
मधुबनी। काफी इंतजार के बाद मानसून शुरू होते ही किसानों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है। दरअसल पिछले कुछ दिनों से चिलचिलाती धूप व भीषण गर्मी से परेशान किसानों को खेती के लिए मानसून का काफी इंतजार था। हो रही लगातार वर्षा ने किसानों की खेतों में लबालब पानी भर दिया है। जिससे किसान अपने खेतों में काम पर लग गए हैं। वहीं किसानों को असमय वर्षा का भय भी सता रहा है। हालांकि किसानों का कहना है कि धान की खेती के लिए अभी बीज ठीक से तैयार भी नहीं हुआ है लेकिन वर्षा शुरु होते ही आननफानन में खेती करनी मजबूरी है।
गौरतलब है कि हरलाखी के प्रखंड इलाके के दर्जनों गांवों में ¨सचाई के लिए वर्षा के अलावा किसानों के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। ऐसे किसानों को पारंपरिक तरीके से ही खेती करनी पड़ती है। यहां एकमात्र विकल्प वर्षा के पानी से ही धान के खेती शुरु होती है। लेकिन खेती के क्रम में आगे चलकर समयानुसार वर्षा नहीं होने पर फसलों की काफी क्षति हो जाती है। जिससे किसानों के पेट पर इसका सीधा असर पड़ता है। इसके बावजूद सरकार से किसानों को कोई सुविधा नहीं मिलना ¨चता का विषय है।
इस समस्या को लेकर सिसौनी से किसान होमेश्वर ¨सह, इंद्रदेव झा,, विश्वनाथ झा, झिटकी से घनश्याम चौधरी, पिताम्बर झा, बेता परसा से लक्ष्मण महतो, नरेश कुमार, पंकज कुमार, कौवाहा बरही से मुखिया रामएकबाल मंडल व सोनई के किसानों ने बताया कि काफी विलंब से मानसून शुरु होने के कारण फसलों के पैदावार पर इसका सीधा असर पड़ता है। वर्षा के अलावा हमारे यहां ¨सचाई का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। सरकार द्वारा किसानों को कोई सुविधा नहीं दी जाती है। ¨सचाई की समस्या को लेकर हर साल फसलों की क्षति हो जाती है। इसके अलावा सरकार द्वारा सही समय पर सही दाम में फसलों की खरीद भी नहीं की जाती है।
किसानों का कहना है कि कृषि प्रधान देश होने के बावजूद किसानों की हालत किसी से नहीं छुपी है। समस्या को लेकर संबंधित विभाग बे़खबर है। सरकार से ¨सचाई के संसाधनों की दरकार है।
इस संबंध में प्रखंड कृषि पदाधिकारी अभिनय प्रियदर्शी ने बताया कि ¨सचाई को लेकर सरकार द्वारा विभिन्न विकल्प शुरु किए जा रहे हैं। किसानों की समस्या के निदान को लेकर विभाग प्रतिबद्ध है।