आज भी कच्ची सड़क से आवागमन करने की मजबूरी
मधुबनी। मैं खैरामाठ गांव हूं। एक ही नाम से कई टोला के रहने के कारण मेरे नाम के बाद ग जोड़ा गया है।
मधुबनी। मैं खैरामाठ गांव हूं। एक ही नाम से कई टोला के रहने के कारण मेरे नाम के बाद ग जोड़ा गया है। अनुमंडल मुख्यालय से सात किलोमीटर की दूरी पर मैं पड़वा बेलही पंचायत के अधीन हूं। आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी मेरे यहां तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है। मेरे वासियों को आज भी कच्ची सड़क का ही सहारा है। कमला नदी की गोद में बसे मेरे पुत्र-पुत्रियों को नदी के धारा में निरंतर हो रहे बदलाव के कारण हर वर्ष बाढ़ की त्रासदी झेलनी पड़ती है। बाढ़ के समय तो जीवन नर्क सा बन जाता है। कच्ची सड़क के कारण बाढ़ के समय गांव छोड़कर ऊंचे जगहों पर शरण लेने में भी मेरे वासियों को फजीहत झेलनी पड़ती है। इस वर्ष विगत 13 जुलाई को आई बाढ़ मुसीबतों का पहाड़ लेकर ही पहुंची। उस पर अंचल प्रशासन की बेरूखी। बाढ़ का हाल जानने अनुमंडल प्रशासन 17 जुलाई को पहुंचा। वह भी बांध तक ही। गांव तक नहीं। सामुदायिक रसोइघर मुखिया के नेतृत्व में चलाया गया
सरकार के निर्देश के बाद भी गांव के बाढ़ पीड़ितों के लिए सामुदायिक रसोइघर की समुचित व्यवस्था नहीं की जा सकी। मात्र एक क्विंटल चावल, 25 किलो दाल एवं एक क्विंटल आलू मुहैया कराया जा सका। उसके बाद मुखिया के नेतृत्व में किसी तरह संचालित किया गया। बाढ़ में ध्वस्त हुए 54 घरों के लिए सहायता राशि अब तक नहीं दी जा सकी है। किसानों के गन्ने की बिक्री की समुचित व्यवस्था नहीं
मेरे पुत्र-पुत्रियों के आजीविका का मुख्य साधन खेती है। मेरे किसान पुत्र गन्ने की खेती करते हैं। लेकिन, जिला प्रशासन द्वारा बिक्री की समुचित व्यवस्था नहीं किए जाने से वे हताश हैं। नेपाल में गन्ना बेचने पर कस्टम एवं भंसार के चक्कर में आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। गांव में नीलगाय एवं सूअर के बढ़ते प्रकोप के कारण भी हमारे किसान पुत्र परेशान हैं। वे आलू समेत अन्य सब्जी की खेती करना बंद कर चुके है। मेरे गरीब पुत्र-पुत्रियों को राशन व केरोसिन के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। मेरे गांव को तो ओडीएफ घोषित कर दिया गया। लेकिन, अब तक 35 प्रतिशत घरों में ही शौचालय का निर्माण कराया जा सका है। उन्हें भी सहायता राशि के लिए भटकना पड़ रहा है। जल नल योजना के लिए राशि आवंटित होने के बाद भी अब तक काम प्रारंभ नहीं कराया जा सका है। बाढ़ में कई चापाकल भी खराब हो गए। इस कारण पेयजल की किल्लत बनी रहती है। पंचायत प्रतिनिधि पुत्रों को अंचल प्रशासन द्वारा बाढ़ प्रभावितों की सूची भी अब तक उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है।
-------------------------------- 'गांव के बाढ़ पीड़ितों को अब तक कोई सहायता राशि नहीं दी जा सकी है। इसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ता है। बांध से गांव जाने वाली सड़क आज भी कच्ची है। आजादी के 70 वर्षो के बाद भी सड़क का नहीं बनना ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।'
रामसुंदर ठाकुर, मुखिया
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'गांव के बाढ़ पीड़ितों को अब तक सहायता राशि नहीं दी जा सकी है। बाढ़ में ध्वस्त हुए घरों के गृहस्वामी को आवास योजना के तहत घर नहीं दिया जा सहा है।'
कृष्णदेव यादव
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आकड़ों में गांव
-आबादी: 3000
- मतदाता : 1000
- विद्यालय : एक
- आंगनबाड़ी केंद्र : एक
- पीडीएस : एक