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प्रमाण पत्र के लिए चक्कर लगा रही पंच पद पर निर्वाचित प्रत्याशी

मधुबनी । तृतीय चरण में आठ अक्तूबर को प्रखंड में हुए चुनाव के बाद आरके कॉलेज मतगणना केंद्र पर खुटौना पंचायत के वार्ड एक से ग्राम कचहरी पंच प्रत्याशी सोना देवी को उनके एकमात्र प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी सुनैना देवी के मुकाबले 54 मतों के अंतर से विजयी घोषित किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 09:57 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 09:57 PM (IST)
प्रमाण पत्र के लिए चक्कर लगा रही पंच पद पर निर्वाचित प्रत्याशी

मधुबनी । तृतीय चरण में आठ अक्तूबर को प्रखंड में हुए चुनाव के बाद आरके कॉलेज मतगणना केंद्र पर खुटौना पंचायत के वार्ड एक से ग्राम कचहरी पंच प्रत्याशी सोना देवी को उनके एकमात्र प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी सुनैना देवी के मुकाबले 54 मतों के अंतर से विजयी घोषित किया गया। विजयी प्रत्याशी जब जीत का प्रमाण पत्र लेने 12 अक्टूबर को खुटौना प्रखंड कार्यालय पहुंची तो निर्वाचन प्रकोष्ठ के कर्मियों द्वारा बताया गया कि प्रमाण पत्र सुनैना देवी के नाम से बना है। जांच की बात कहकर उसे वहां से भगा दिया गया। सोना देवी के पति जीतन मुखिया ने बताया कि स्पष्ट रूप से विजयी घोषित होने के बावजूद उसे प्रखंड के चक्कर लगाना पड़ रहा है। उनके अनुसार जिसे अब जीता हुआ बताया जा रहा है, वह घोषणा के मुताबिक अपने को पराजित मानकर घर बैठ गई है। उन्होंने कहा कि यह सरासर धांधली है और इसकी शिकायत वे डीएम तथा राज्य निर्वाचन आयोग से करने जा रहे हैं। बताया कि जरूरत होने पर वे कोर्ट की शरण में भी जा सकते हैं। खुटौना पंचायत की मुखिया प्रत्याशी पिकी देवी के अनुसार मतगणना केंद्र पर निर्धारित समय से पहले ही उनकी पंचायत के ईवीएम खुले हुए थे और मतों की गिनती कर आंकड़े अंकित किए जा चुके थे। उनके अभिभावक दीपक कुमार ने खुटौना पंचायत की मतगणना कार्य में खुटौना पंचायत के शिक्षकों को लगाया जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उक्त सभी शिक्षक पंचायत के मतदाता भी है और उनसे निष्पक्ष एवं तथ्य संगत मतगणना की उम्मीद नहीं कि जा सकती है। परसाहि पूर्वी, मझोरा तथा ललमनियां आदि पंचायतों के कई प्रत्याशी भी इसी प्रकार की शिकायत कर रहे हैं। प्रखंड के एक कर्मी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि विगत 12 सितम्बर से ही शिक्षकों समेत प्रखंड कर्मियों को चुनाव से संबंधित कार्यों में लगा दिया गया था। लगातार दिन रात काम करने वाले ऐसे कर्मियों को जब मतगणना में लगाया गया तो उनसे भूल होना स्वाभाविक है।

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