धर्मशास्त्री, वैयाकरण मम कृष्ण ¨सह ठाकुर पर लिखी पहली किताब
जिले के पंडौल प्रखंड अंतर्गत भौर राजेग्राम गांव निवासी व एमएलएसएम कॉलेज दरभंगा में मैथिली विषय के प्राध्यापक डॉ. शान्ति नाथ ¨सह ठाकुर मैथिली साहित्य के स्थापित लेखक हैं।
मधुबनी। जिले के पंडौल प्रखंड अंतर्गत भौर राजेग्राम गांव निवासी व एमएलएसएम कॉलेज दरभंगा में मैथिली विषय के प्राध्यापक डॉ. शान्ति नाथ ¨सह ठाकुर मैथिली साहित्य के स्थापित लेखक हैं। कथा, कविता, समीक्षा, समालोचना तथा निबंध लेखन में इनकी खासी पकड़ है। इनकी पहली प्रकाशित किताब 'महामहोपाध्याय कृष्ण ¨सह ठाकुर' है। साहित्यिकी प्रकाशन सरिसब पाही से वर्ष 2005 में प्रकाशित इस पुस्तक में धर्मशास्त्र व व्याकरण के निष्णात विद्वान महामहोपाध्याय कृष्ण ¨सह ठाकुर के व्यक्तित्व-कृतित्व का वर्णन है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से एमए में उत्कृष्ट रिजल्ट व पीएचडी डिग्री प्राप्त डॉ. ठाकुर ने बताया कि मेरी पहली पुस्तक प्रकाशित हुई तो उस वक्त की खुशी अविस्मरणीय है। कहा कि इस पुस्तक की तथ्यात्मक विषय वस्तु को डॉ. किशोर नाथ झा ने अपनी भूमिका में सुन्दर ढंग से स्पष्ट किया था तथा मुझे बधाई दी थी। कहा कि वैसे तो शुरू से ही पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर मेरे कथा लेखन व विभिन्न विधाओं में आलेख प्रकाशित होते रहे हैं। परन्तु पहली पुस्तक हुई तो उस समय मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। खासकर जब डॉ. उषाकर झा, प्रो. आनंद मिश्र, डॉ. नीरजा रेणु व त्रिलोक नाथ झा जैसे साहित्यिक पुरोधाओं ने अपनी शुभाशंसा में पुस्तक की उपादेयता को प्रतिपादित की थी। कहा कि अद्यतन करीब एक दर्जन से अधिक शोध-गवेषणा युक्त तथ्यात्मक विषय वस्तु पर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए छात्रोपयोगी सामग्रियों से भरपूर आलेख व पोथी प्रकाशित हुए हैं। परन्तु पहली पुस्तक प्रकाशित हुई तो उस समय जो आत्मसंतुष्टि हुई वह आज भी मानस पटल पर बहुत मजबूत सुकून देता है।
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