Move to Jagran APP

बाढ़ के पानी से 21 दिनों से घिरे गांवों में तबाही व बर्बादी का मंजर

मधुबनी। जिले के पश्चिमी भाग में बाढ़ का कहर जारी है। मधवापुर प्रखंड के गांवों से धौस का पानी उतरने से बाढ़ की विभिषिका नजर आ रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 01:13 AM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 01:13 AM (IST)
बाढ़ के पानी से 21 दिनों से घिरे गांवों में तबाही व बर्बादी का मंजर
बाढ़ के पानी से 21 दिनों से घिरे गांवों में तबाही व बर्बादी का मंजर

मधुबनी। जिले के पश्चिमी भाग में बाढ़ का कहर जारी है। मधवापुर प्रखंड के गांवों से धौस का पानी उतरने से बाढ़ की विभिषिका नजर आ रही है। वहीं बेनीपट्टी के दो दर्जन गांवों में छोटी नदियों का कहर जारी है।

loksabha election banner

बेनीपट्टी प्रखंड में बाढ़ के पानी से 21 दिनों से घिरे गांवों में तबाही व बर्बादी की मंजर दिखने लगा है। बाढ़ का पानी बढ़ने से लोगों के सामने गंभीर संकट है। बाढ़ के पानी ने दो दर्जन से अधिक सड़क को खंड-खंड में बांटकर क्षतिग्रस्त कर दिया है। जल तांडव जारी रहने से बाढ़ से घिरे गांवों के लोग भारी परेशानी में हैं। बेनीपट्टी प्रखंड में तीन दर्जन गांव अब भी बाढ़ से घिरा हुआ है। अधवारा समूह के खिरोई एवं थुम्हानी नदी के उफान के कारण बेनीपट्टी प्रखंड क्षेत्र में बाढ़ से भारी तबाही मची हुई है। सोईली चौक के निकट थुम्हानी नदी पर बने पुल के उपर बाढ़ का पानी बह रहा है। सोईली चौक से गुलरिया टोल व करहारा जाने वाली सड़क पर बाढ़ के पानी बहने से नाव चल रहा है। बलिया से खसियाघाट गांव जाने वाली सड़क जगह-जगह टूटकर क्षतिग्रस्त हो गई है। विशनपुर से माधोपुर व बररी जाने वाली सड़क पर बाढ़ के पानी चलने से यातायात ठप है। माधोपुर गांव के समीप डायवर्सन पर बाढ़ का पानी बहने से बररी पंचायत के सड़क सम्पर्क भंग हो गया है। हर तरफ पानी व बीच में गांव दिख रहा है। करहारा, हथियरवा, खसियाघाट, बिर्दीपुर, सोहरौल गांव चारों ओर से बाढ़ के पानी से घिरकर टापू में तब्दील गई है। उच्चैठ से समदा, सोहरौल होते हुए त्रिमुहान तक जाने वाली सड़क जगह-जगह टूटकर क्षतिग्रस्त हो गया है। गांव में पानी घुसने से बाढ़ से विस्थापित परिवार सड़क पर आशियाना बना लिया है। माल मवेशी व आदमी की एक साथ जिदगी कट रही है। बांध, सड़क पर विस्थापित परिवार चूड़ा फांक कर जी रहे हैं। प्रशासन मौन है। जगह-जगह बाढ़ के पानी में चापाकल डूब जाने से दूर दराज से चापाकल से पानी लाना पड़ता है। बाढ़ पीड़ित के पास जरूरी दवाइयां, मास्क, सैनिटाइजर, माचिस, टॉर्च, खाने के लिए सूखा चीज का घोर अभाव है। बाढ़ क्षेत्र में मवेशी की चारा की भारी अभाव रहने से नाव पर सवार होकर दूसरे जगहों से चारा लाकर मवेशी को खिला रहे हैं। बेनीपट्टी के हथियरवा, समदा, सोहरौल, करहारा, बिर्दीपुर, खसियाघाट, गुलरिया टोल, उच्चैठ, विशनपुर, सलहा, भगवतीपुर, बररी, फुलवरिया, रजवा, धनुषी, बाजीतपुर, सिड़वारा, नवगाछी, सिमरकोण सहित तीन दर्जन से अधिक गांव बाढ़ के पानी से घिरा हुआ है।

मधवापुर में बाढ़ के दरम्यान इन लोगों के समक्ष भोजन और पशुचारे की विकट समस्या उत्पन्न हो जाती। बताते चलें कि लालूनगर साहरघाट के करीब एक सौ घर परिवार में बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाने के कारण पिछले 15 दिनों से अपने मवेशियों के साथ एनएच 104 सड़क पर तंबू डाल कर शरण ली है। इसके अलावा महादलित टोल साहरघाट के दो दर्जन परिवार परिवारों के घरों में बारिश का पानी प्रवेश कर जाने के कारण मवेशियों के साथ लोग मध्य विद्यालय साहरघाट में शरण लिए हुए हैं। लालू नगर के विस्थापित जीवन राम बताते हैं कि घर में पानी प्रवेश कर जाने के कारण जलावन भींग जाने से वे लोग दो दिनों तक मुरही और भुंजा खाकर समय गुजारे फिर पेड़ से सूखी जलावन तोड़ कर भोजन बना कर खाते हैं। मवेशियों का चारा बाढ़ के पानी में बह जाने के कारण पेड़ से पता तोड़ कर खिला रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.