शीघ्र रेफरल अस्पताल बनाने की मांग
इंडो-नेपाल सीमा से करीब 100 मीटर की दूरी पर अवस्थित 8.50 एकड का परिसरवाला लौकहा बाजार का अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र बदहाली व बदइंतजामी की मिसाल बनकर रह गया है।
मधुबनी। इंडो-नेपाल सीमा से करीब 100 मीटर की दूरी पर अवस्थित 8.50 एकड का परिसरवाला लौकहा बाजार का अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र बदहाली व बदइंतजामी की मिसाल बनकर रह गया है। एक वक्त था जब सुबह से शाम तक यहां मरीजों व उनके तीमारदारों की भीड लगी रहती थी। रोगियों में आधी से अधिक संख्या नेपाली क्षेत्र के गांवों से आए महिलाओं, पुरूषों व बच्चों की हुआ करती थी। उस वक्त यह पूर्णरूप से राजकीय औषधालय था। कालक्रम में खुटौना का राजकीय औषधालय पीएचसी या यूं कहिए की सीएचसी बन गया और भारत-नेपाल सीमावर्त्ती क्षेत्र की जनता की सेवा के लिए खोला गया लौकहा बाजार का यह सरकारी अस्पताल उपेक्षित हो गया। बताते हैं कि इसी अस्पताल की जमीन पर लौकहा का एसएसबी कैम्प चल रहा है। इसकी जमीन के अतिक्रमण की शिकायतें आए दिन सुनने को मिलती रहती हैं। ऐसा नहीं है कि लौकहा समेत इलाके के लोग इस अस्पताल की बदहाली को लेकर चुप हैं। करीब तीन वर्ष पूर्व जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय झा के माध्यम से लौकहा के इस अस्पताल को सीमा से सटे होने के आधार पर रेफरल अस्पताल में उत्क्रमित किए जाने का प्रयास किया गया था। मिली जानकारी के मुताबिक प्रखण्ड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी तथा सीएस, मधुबनी की अनुशंसा के बाद उक्त प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग की फाइल में बंद है। समाजसेवी रामजतन पासवान ने लौकहा के इस अस्पताल को शीघ्रातिशीघ्र रेफरल अस्पताल बनाए जाने की मांग की है।