मैथिली भाषा व साहित्य के विकास के लिए समवेत प्रयास जरूरी : डीएम
पंडौल प्रखंड के सरिसब पाही स्थित लक्ष्मीवती संस्कृत महाविद्यालय के सभागार में साहित्य अकादमी नई दिल्ली तथा साहित्यिकी मधुबनी के संयुक्त तत्वावधान में मनमोहन झा जन्मशती संगोष्ठी एवं कथासन्धि के आयोजन के दूसरे व अंतिम दिन विद्वानों व साहित्य प्रेमियों का जमावड़ा लगा ।
मधुबनी। पंडौल प्रखंड के सरिसब पाही स्थित लक्ष्मीवती संस्कृत महाविद्यालय के सभागार में साहित्य अकादमी नई दिल्ली तथा साहित्यिकी मधुबनी के संयुक्त तत्वावधान में मनमोहन झा जन्मशती संगोष्ठी एवं कथासन्धि के आयोजन के दूसरे व अंतिम दिन विद्वानों व साहित्य प्रेमियों का जमावड़ा लगा । उक्त दो दिवसीय शिविर का आयोजन कई सत्रों में किया गया । कार्यक्रम के दुसरे दिन रविवार को रमानन्द झा रमण की अध्यक्षता में दस बजे से तीसरा सत्र प्रारंभ किया गया । जिसमें अशोक कुमार मेहता ने मनमोहन झा के साहित्य में नारी . विमर्श पर आलेख प्रस्तुत किया। अरुण कुमार ¨सह ने मनमोहन झा के साहित्य में पौराणिक एवं ऐतिहासिक संदर्भ विषय पर आलेख दिया । सुरेश पासवान ने मनमोहन झा के साहित्य में नारी विमर्श व कथा की विविधता पर आलेख प्रस्तुत किया । चौथा सत्र दोपहर 12 बजे से दमन कुमार झा की अध्यक्षता में प्रारंभ हुई जिसमें अरविन्द कुमार ¨सह झा ने मैथिली ग। काव्य परम्परा में मिथिला के निशापुर का स्थान विषय पर आलेख प्रस्तुत किया । अजीत मिश्र ने मनमोहन झा रचित उपन्यास कृष्णसर्प एक मूल्यांकन विषय पर आलेख प्रस्तुत किया । वहीं कुमारी अमृता चौधरी ने मिथिला की निशापुर में बिम्ब विधान पर आलेख प्रस्तुत किया। इसी दरम्यान जिला पदाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक संगोष्ठी में पहुंचे । उन्होंने मनमोहन झा के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी । आयोजकों ने जिला पदाधिकारी को पाग दोपटा से सम्मानित किया । कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने कहा के यहां की भूमि ज्ञान का भंडार हैं । यहां घर घर विद्वान हैं । साहित्य का विकास अच्छे साहित्यकारों व विद्वानों के आने से होता है । मैथिली भाषा व साहित्य के विकास के लिए हम सबों को एकजुट हो प्रयास करना पड़ेगा । आज के आधुनिक युग में रिजनल भाषाओं का संवर्धन अत्यावश्यक है । कला व बुद्धि का विकास इंटरनेट के जमाने में जरूरी है । सरिसब पाही में कला संस्कृति लाईब्रेरी की आवश्यकता है । हम प्रयास करेगें की बहुत जल्द वो स्थापित हो जाए । साहित्यकार निरजा रेणू ने उनसे कहा की यदी मातृ . भाषा के माध्यम से प्राथमिक स्तर से ही बच्चों को वि।ालयों में दिया जाए तो मैथिलि के लिए बेहतर होगा । डीएम ने कहा की वे शित्त विभाग को इस बात से अवगत करवाएंगे की वे इस ओर पहल करने का मार्ग प्रसस्त करें । उन्होंने कहा की इस तरह की संगोष्ठी से समाज में साहित्य का विकसित होने का मार्ग मिलता है । नवानी, ठाढ़ी, सरिसब पाही बिस्फी आदि इस जिले के ज्ञान के मुख्य केन्द्र रहे हैं। इन का उत्थान व संवर्धन आवश्यक है । उन्होंने कहा कि वे कोशिश करेंगे कि पंडित अयाची मिश्र , वाचस्पति , विद्यापति समेत अन्य विद्वानों पर राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी इसी वर्ष सरिसब पाही में आयोजित हो जिसमें साहित्यकारों का जमावड़ा हो और मैथिली साहित्य का संवर्धन हो सके ।
इस दौरान साहित्यकी के अध्यक्ष विद्यानंद झा ने उन्हें साहित्य की ओर से आधा दर्ज पोथी भेंट किया जबकी मनमोहन झा के पुत्र नेत्रनाथ झा ने उन्हें मनमोहन झा रचित पुस्तकें भेंट किया । डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित सभी मैथिली पुस्तकों की एक एक प्रति 18 हजार रूपये से अधिक मुल्य की खरिदी । वे संगोष्ठी के आयोजकों कों धन्यवाद †ापन कर निकल गए । अपराहण 2रू30 बजे कथासंधि में साहित्यकार निरजा रेणू ने अपनी कथा का पाठ किया ।
इस दौरान साहित्यकी व साहित्य अकादमी की ओर से विशेष छूट पर लगी पुस्तक प्रदर्शनी में लगभग 60 हजार रूपये की पुस्तकें बिकी । इस अवसर पर सीओ पंकज कुमार, विद्यानंद झा , मुखिया रामबहादुर चैधरी , उदय कुमार झा , डा. जगदीश मिश्र , रतिनाथ झा , ऋषिनाथ झा , अमल कुमार झा , डा.अशर्फी कामत , मलयनाथ मंडन, दिलीप मिश्र , डा. किशोरनाथ झा , हीरानाथ झा , डा. संजीव कुमार झा समेत दर्जनों विद्वान व साहित्यकार उपस्थित थे ।