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होली पर धमाल मचाने की तैयारी में जुटे बच्चे

रंगोंत्सव का उमंग चहुंओर छाने लगा है। उड़ते अबीर-गुलाल का असर ऐसा मानो चारों ओर इंद्रधनुष नजर आने लगे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 10:42 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 11:18 PM (IST)
होली पर धमाल मचाने की तैयारी में जुटे बच्चे
होली पर धमाल मचाने की तैयारी में जुटे बच्चे

मधुबनी। रंगोंत्सव का उमंग चहुंओर छाने लगा है। उड़ते अबीर-गुलाल का असर ऐसा मानो चारों ओर इंद्रधनुष नजर आने लगे हैं। जोगीरा की धुन पर रंग बरसे भीगे चुनर वाली.. के अलावा अन्य गीतों पर तन-मन थिरकने लगे हैं। बच्चों के होली का अनुभव बड़ा मीठा होता है। बच्चे अपने-अपने ढ़ग से होली की तैयारी कर चुके हैं। त्योहार को लेकर स्टेनगन, सुपरमैन, शक्तिमान सहित अन्य किस्मों की पिचकारी दुकानों पर लेटेस्ट वेरायटी की पिचकारी की बिक्री जोरो पर चल रही है। बच्चों द्वारा स्टेनगन, बंदूक, पिस्टल माडल वाले पिचकारी के अलावा कृष, शक्तिमान, स्पाइडरमैन सहित अनेक प्रकार के मुखौटे काफी पसंद किए जा रहे हैं। होली पर अपने सभी दोस्तों के साथ मिलकर विभिन्न प्रकार के व्यंजन खाऊंगी। रंग की जगह गुलाल से सूखी होली मनाऊंगी। बड़ों से आशीर्वाद लूंगी।

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- ओम शुभम 'इस बार होली में घर के सभी के साथ धमाल मचाऊंगा। अच्छे-अच्छे पकवान बनेगा। सब को खिलाऊंगा। सादगी के साथ बड़ों के चरणों में अबीर लगाकर आशीर्वाद लूंगी।'

- ऋषि होली के दिन घर आने वाले संबंधियों, अतिथियों को गुलाल से स्वागत करेंगे। कुछ समय तक रंगों की होली होगी। घर आने वाले लोगों की भावना के अनुरूप ही गुलाल लगाएंगे।

- प्यारे होली पर रंग, गुलाल, तरह-तरह के व्यजनों के अलावा जोरीगा की जगह भजन का कार्यक्रम होगा। परिवार के अलावा अन्य लोगों की भागीदारी होगी। भगवान को याद कर नाना प्रकार के व्यजनों का भोग लगाया जाएगा।

- सिद्धी ---------------- कुरीतियों की होलिका जलाने से ही पर्व की सार्थकता

रंगों का त्योहार होली का पर्यावरण से सीधा जुड़ाव है। होलिका दहन में हम अपने अंदर की और देश-समाज में व्याप्त कुरीतियों की होलिका को जलाने से ही इस पर्व की सार्थकता होगी। होलिका दहन अनुष्ठान में उपले का उपयोग बेहतर माना गया है। पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण के साथ हरे वृक्षों की कटाई पर रोक जरूरी है। होलिका दहन के नाम पर बड़े पैमाने पर वृक्ष काटा जाना पर्यावरण के लिए उचित नहीं होता। होलिका दहन के लिए अंधाधुंध वृक्षों की कटाई को रोकने का संकल्प लेना होगा। एक पौधे को जवान होने में तकरीबन 6 से 10 साल लग जाते हैं। ऐसे पौधों को होलिका दहन के मौके पर काट दिए जाते हैं। एक वृक्ष की कमी को पूरा करने के लिए दस पौधे लगाने पड़ते हैं। अंधाधुंध वृक्षों की कटाई को रोकने का संकल्प लेना होगा।


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