नकली एवं घटिया दवाओं के खेल में कारोबारी मालामाल
मधुबनी। किसी भी रोगी के लिए चिकित्सक के बाद दवाएं अहम होता है। दवा के गोरखधंधा रोगियों के लिए जानलेवा साबित होता है। घटिया किस्म के दवाओं के खेल में इसके कारोबारी तो मालामाल हो जाते हैं लेकिन इसका खामियाजा रोगियों के परिजनों को वर्षो तक भुगतना पड़ता है।
मधुबनी। किसी भी रोगी के लिए चिकित्सक के बाद दवाएं अहम होता है। दवा के गोरखधंधा रोगियों के लिए जानलेवा साबित होता है। घटिया किस्म के दवाओं के खेल में इसके कारोबारी तो मालामाल हो जाते हैं लेकिन इसका खामियाजा रोगियों के परिजनों को वर्षो तक भुगतना पड़ता है। शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी घटिया दवाओं की बिक्री पर रोकथाम की दिशा में कारगर प्रयास नहीं होने के कारण घटिया दवाओं का धंधा काफी फल-फूल रहा है। इसमें दवा दुकानदारों के अलावा विभागीय पदाधिकारियों की संलिप्तता को नकारा नहीं जा सकता है। दवा दुकानों पर विभागीय मापदंडों की अनदेखी जिले में दवा दुकानों की संख्या 1500 से अधिक बताया गया है। जिला मुख्यालय में दवा दुकानों की संख्या करीब 400 है। जानकारों की मानें तो अनेकों दवा दुकानों पर विभागीय मापदंडों की अनदेखी की जाती रही है। नियमत: किसी भी अंग्रेजी दवा दुकान के लिए फार्मासिस्ट के अलावा फ्रीज होने का प्रावधान है। हालांकि बगैर फ्रीज की दवाओं के लिए फ्रीज का होना जरुरी नही माना गया है। यहां अनेक दवा दुकान छोटे-छोटे गुमटी में चलाए जाते हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध दवा दुकानों की भरमार है। जहां तक किसी अधिकारी की पहुंच अभी तक नहीं हुई है। यहां पर नकली दवाओं की बिक्री धड़ल्ले से होती है। मापदंडों के उल्लंघन का अनेकों मामले दवा विक्रेताओं के लिए लाइसेंस हेतु शैक्षणिक, आवासीय, कैरेक्टर प्रमाण पत्र के अलावा दवा बिक्री का अनुभव प्रमाण पत्र जरूरी होता है। यह मापदंड दवाओं के थोक व खुदरा विक्रेताओं के लिए अपनाया जाता है। लाइसेंस रहित दवा दुकानों का संचालन के अलावा घटिया किस्म के दवाओं की बिक्री की शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर कार्रवाई की जाती रही है। दवा दुकानदारों द्वारा मापदंडों के उल्लंघन के करीब दो दर्जन मामले की सूचना है।
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दवा दुकान संचालन में नियमों की अनदेखी की किसी भी प्रकार की सूचना मिलने पर विभाग द्वारा त्वरित कार्रवाई की जाती है।
मिथिलेश मिश्र
सिविल सर्जन,मधुबनी