भूकंपरोधी मकान बनाने की दी गई बेहतर जानकारी
गहरी हो 4 फीट नीव यदि मंजिल दो टाइ बीम बांधे कॉलम को ध्यान देना चाहिए।
मधुबनी। गहरी हो 4 फीट नीव यदि मंजिल दो टाइ बीम बांधे कॉलम को ध्यान देना चाहिए। भूकंप रोधी बैंड बांधे, कुर्सी सिल्ल, ¨लटल को एक-एक सरिया कोनों पर तान देना चाहिए। बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तकनीकी सलाहकार डॉ. सुनील कुमार चौधरी ने स्वरचित कविता के इन पंक्तियों के माध्यम से भूकंप रोधी भवन निर्माण के तकनीक को बड़े ही सरल, रोचक एवं प्रभाव कारी तरीके से राजमिस्त्रीयों को समझाया। उन्होंने बताया कि भारवाहक दीवार वाले भवन के पिलर निर्माण में चार छड़ डालने की आवश्यकता नहीं है। अपितु पिलर में छड़ डालकर भूकंप रोधी मजबूत एवं सस्ता भवन का निर्माण किया जा सकता है। उन्होने कॉलम ,बीम ,सलैब मे छड़ की उचित मात्रा भूकंपीय बैंड में झुमका एंव बीम में चुड़ी के बीच की दूरी डिजाइन के हिसाब से रखने पर बल दिया। बीम एवं कॉलम के जोड़ों के पास सघन चुड़ी के महत्व को विस्तार से समझाया गया। भूकंप आने के समय बीम एवं कॉलम के आचरण एवं भूकंप के विपरीत प्रभाव से बचाने के लिए छड़, झुमका ,चूड़ी एवं मकान के नीव की गहराई तथा उस प्रकार से संबंधित तकनीकी बारीकियों का सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक ज्ञान रामिस्त्रियों को दिया। प्रशिक्षण प्रभारी एवं मास्टर ट्रेनर्स की देखरेख में वर्ग कार्य एवं स्थलीय अभ्यास कराया गया। बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष माननीय मुख्यमंत्री के सुरक्षित बिहार एवं विकसित बिहार के सपना को साकार करने के लिए प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री व्यास जी के गतिशील नेतृत्व में तकनीकी टीम सतत प्रयासरत है। इस कार्यक्रम में अनुभवी राजमिस्त्रीयों का भूकंपरोधी भवन पर सात दिवसीय प्रशिक्षण एक अभिनव प्रयोग है। जिसमें प्रत्येक प्रखंड में 30 राज मिस्त्रीयों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के अंतिम दिन 700 रुपया प्रतिदिन के हिसाब से 4900 का चेक एवं प्रमाण पत्र दिया जाएगा। संपूर्ण भारत में इस तरह का प्रशिक्षण चलाने वाला बिहार एक मात्र पहला राज्य है। अंत में डॉक्टर सुनील कुमार चौधरी द्वारा रचित कविता सबको भूकंप रोधी ज्ञान देना चाहिए के सामूहिक गान के साथ कार्यक्रम की समाप्ति हुई। इस मौके पर प्रशिक्षण से संबंधित जानकारी लेने के लिए प्रखंड के विभिन्न पंचायत के ग्रामीण एवं अंचलाधिकारी मौजूद थे।