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मधेपुर प्रखंड के लोकसभा चुनाव के बिल में 7.75 लाख का घपला

मधुबनी। जिला पदाधिकारी के स्तर पर गठित तीन सदस्यीय जांच टीम ने मधेपुर प्रखंड के लोकसभा चुनाव के बिल में सात लाख 75 हजार 332 रुपये की गड़बड़ी पकड़ी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2020 11:14 PM (IST)Updated: Wed, 09 Sep 2020 11:14 PM (IST)
मधेपुर प्रखंड के लोकसभा चुनाव के बिल में 7.75 लाख का घपला

मधुबनी। जिला पदाधिकारी के स्तर पर गठित तीन सदस्यीय जांच टीम ने मधेपुर प्रखंड के लोकसभा चुनाव के बिल में सात लाख 75 हजार 332 रुपये की गड़बड़ी पकड़ी है। गत लोकसभा चुनाव के दौरान मधेपुर प्रखंड स्तर पर कराए गए कार्यो का विभिन्न आपूर्तिकर्ताओं द्वारा मधेपुर प्रखंड को भुगतान के लिए 18 लाख 16 हजार 808 रुपये का बिल सौंपा था। आपूर्तिकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए बिल की जांच कर मधेपुर प्रखंड द्वारा 17 लाख सात हजार 942 रुपये का बिल पारित किया गया था। लेकिन, जब डीएम ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर जांच कराई तो बिल की राशि में 7.75 लाख रुपये की गड़बड़ी पाई गई। तीन सदस्यीय टीम ने जांच के दौरान मधेपुर प्रखंड द्वारा पारित किए गए बिल में सात लाख 75 हजार 332 रुपये की गड़बड़ी पकड़ी। जिस कारण तीन सदस्यीय जांच टीम द्वारा बिल के भुगतान के लिए केवल नौ लाख 32 हजार 610 रुपये की ही अनुशंसा की गई है। जबकि, प्रखंड स्तर पर 17 लाख सात हजार 942 रुपये का बिल पारित किया था। तीन सदस्यीय जांच दल ने अस्थाई विद्युतीकरण के बिल में चार लाख 51 हजार 607 रुपये और टेंट-सामियाना के बिल में तीन लाख 23 हजार 725 रुपये की गड़बड़ी पकड़ते हुए बिल में इतनी राशि की कटौती कर दी है। तीन सदस्यीय जांच टीम में झंझारपुर के एसडीओ एवं डीसीएलआर व वरीय कोषागार पदाधिकारी शामिल थे। झंझारपुर के एसडीओ ने जांच रिपोर्ट अग्रेतर कार्रवाई के लिए जिला पदाधिकारी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी को भेज दिया है।

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---------------- वित्तीय अनियमितता उजागर : तीन सदस्यीय जांच टीम ने डीएम को भेजे गए जांच रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया है कि गत लोकसभा निर्वाचन कार्यों के लिए समुचित कार्यादेश निर्गत नहीं किया गया था। निर्गत कार्यादेशों में विशिष्टता का अभाव था। इस कारण आपूर्तिकर्ताओं द्वारा अधिक दिनों और अधिक सामग्रियों का बिल प्रस्तुत किया गया। जिस कारण सरकारी राशि का दुर्विनियोग का मामला बना जो अनियमितता का द्योतक है। वेंडर द्वारा टेंट-सामियाना एवं अस्थाई विद्युत व्यवस्था मद में मनमाने तरीके से बिल प्रस्तुत किया गया और प्रखंड स्तर से भी उसे सही मानते हुए भुगतान के लिए अग्रेतर कार्रवाई किया गया जो सरकारी राशि के दुर्विनियोग का पूर्ण उदाहरण है। जिन-जिन स्थानों पर टेंट-सामियाना या अस्थाई विद्युत व्यवस्था की गई थी, उसकी वीडियोग्राफी नहीं कराई गई, जबकि निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान वीडियोग्राफर मौजूद रहा। प्रखंड स्तर से जिन-जिन सामान का क्रय किया गया था, वह सामान जिला क्रय समिति द्वारा चयनित वेंडर से क्रय नहीं किया गया था।


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