संजोए जाएंगे जिले के 37 तालाब
मधुबनी। जिले के तालाबों को संजोया ही नहीं बल्कि संवारा भी जाएगा। जल जीवन हरियाली योजना के त
मधुबनी। जिले के तालाबों को संजोया ही नहीं बल्कि संवारा भी जाएगा। जल जीवन हरियाली योजना के तहत जल संचयन की व्यवस्था के लए 37 तालाबों का चयन किया गया है। इसकी उड़ाही का कार्य शुरू किया जा रहा है। बाद में इसका सुंदरीकरण भी किया जाएगा।
मालूम हो कि वर्षा जल के संचय के लिए तालाबों व कुओं का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। ताकि, भू-जल का स्तर बना रहे। जिले के सभी 21 प्रखंडों से 37 तालाबों का चयन कर इसमें से चार से छह फीट मिट्टी निकाली जा रही है। लघु सिचाई प्रमंडल मधुबनी द्वारा यह उड़ाही का काम शुरू किया गया है। 20 करोड़ रुपये आएगी लागत
योजना के क्रियान्वयन में लगभग 20 करोड़ की लागत का अनुमान है। स्थल निरीक्षण कर प्राक्कलन व नक्शा तैयार किया जा रहा है। योजनाओं को पूरा करने के लिए टेंडर भी निकाला गया है। तालाबों में जल संचय के लिए इनलेट तथा जल निकासी के लिए कल्वर्ट'बनाने की योजना है। पहले राजस्थानी ट्रैक्टर से तालाबों की उड़ाही होनी थी। मगर, इससे लागत करीब 24 करोड़ आ रही थी। इसे देखते हुए अब जेसीबी से कार्य कराने की योजना बनाई गई है। इससे लगभग 25 फीसद राशि कम खर्च होने की अनुमान है। जिला मत्स्य कार्यालय से मांगा एनओसी
इन 37 तालाबों की उड़ाही के लिए अंचल कार्यालय तथा जिला मत्स्य कार्यालय से सूची प्राप्त की गई है। साथ ही मत्स्य कार्यालय से एनओसी से भी मांगा गया है। विभाग ने द्वारा वैसे तालाबों का चयन किया है जो अतिक्रमण व विवाद मुक्त हो। साथ ही वैसे तालाब भी हैं जो पहले से सूखा और छिछला हो। वहीं इस चरण में 10 फीट से अधिक पानी वाले तालाबों को अलग रखा गया है। बेनीपट्टी के महादेव पोखरा को इस योजना से अलग रखा गया है। स्थलनिरीक्षण में इसमें ज्यादा पानी पाया गया। इधर, फुलपरास प्रखंड के रामनगर के इकटकिया तथा गोनही पोखरा की उड़ाही के लिए कार्य योजना तैयार की गई है। इन दोनों तालाबों में भूतही बलान से आई बाढ़ का पानी भर गया था।
लघु सिचाई प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता संजय कुमार ने बताया कि जल जीवन हरियाली योजना ये यह कार्य हो रहा है। टेंडर कार्य पूरा होने पर राशि का आवंटन कर दिया जाएगा। उड़ाही के क्रम में निकाली गई मिट्टी से तालाब के चारों ओर भिडा बनाने की योजना है। उड़ाही के बाद तालाब संबंधित विभाग को सौंप दिया जाएगा। अंचल कार्यालय के अधीन जो तालाब को अंचल तथा मत्स्य विभाग के तालाबों को इस विभाग को सौंपा जाएगा। तालाब उराही के पश्चात इससे होने वाले पटवन कार्य के लिए किसानों को छूट रहेगी। तालाब में यदि पानी की मात्रा छह फीट से कम रहती है तो बाद में बोरिग लगाकर पानी भरने की व्यवस्था की जाएगी। इन तालाबों का चयन
- शिवीपट्टी का इटहरवा पोखर, बसहा का दिधीया पोखर, रामनगर का इकटकिया व गोनही पोखर, भपटियाही का राजाजी पोखर, मझौरा का बड़ीलहरी पोखर, विरसायर में विरसायर पोखर, शिवनगर में सैनीपोखर, मुखियापट्टी में अंगरजिया पोखर, दोनवारी का बगही पोखर, हरना में हरना पोखर, लोहा में अनारी पोखर, मनसापुर का सनपतहा पोखर, कोरैहिया का मेहदैय पोखर, महादेव पट्टी में राम ठाकुर पोखर, भोज परौल में प्रेम सागर पोखर, बसौली में सरकारी पोखर, कौआहा में सिगराही पोखर, छार्रापट्टी में जोखराही पोखर, लखनौर में चमच्चा पोखर, सरौनी में कपिलेश्वर पोखर, सिमरा का सिमरा पोखर, पचाढ़ी में बलुआ पोखर, मरार में कुरनी मरार पोखर, भपटियाही कदमपुर में मनी पोखर, शिवीपट्टी में पंजीयार पोखर, ननौर में नहरी पोखर, भिठौली में जोगयाही पोखर, हरिपुर बक्सीटोल का सती माई स्थान पोखर, सिजौलिया का बेलदारी व कालापट्टी का बरही पोखर, भुपट्टी में महासेठी पोखर व पुरानी पोखर, लतौना में बगही पोखर, जोकही में मुरली पोखर, पचही में मरार पोखर, मनषापुर में मनषापुर पोखर व ठाढ़ी में स्थित बड़की पोखर, बेहट में रतनसार पोखर, ठाढ़ी का हथियाही व खमगोरा पोखर।