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मधेपुरा के सिंहेश्वर मंदिर की दुर्दशा में न्यास समिति संलिप्त, पर्षद ने दागियों को हटाने का दिया निर्देश

बिहारी बाबा धाम से प्रसिद्ध सिंहेश्वरनाथ मंदिर की दुर्दशा में न्यास समिति की सहभागिता सामने आई है। इस पर बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के कड़ी आपत्ति के बावजूद मंदिर की व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं दिख रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 06:32 PM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 06:32 PM (IST)
मधेपुरा के सिंहेश्वर मंदिर की दुर्दशा में न्यास समिति संलिप्त, पर्षद ने दागियों को हटाने का दिया निर्देश

मधेपुरा। बिहारी बाबा धाम से प्रसिद्ध सिंहेश्वरनाथ मंदिर की दुर्दशा में न्यास समिति की सहभागिता सामने आई है। इस पर बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के कड़ी आपत्ति के बावजूद मंदिर की व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं दिख रहा है। पर्षद ने समिति में दागी व्यक्तियों को तत्काल हटाने का निर्देश जारी किया है।

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इसके पहले सिंहेश्वर मंदिर की दानपेटी से रुपयों की हेराफेरी के मामले में पर्षद ने स्पष्ट निर्देश दिया कि मंदिर में अगर रुपये की चोरी ही रही है तो यह न्यास हित के खिलाफ है। ऐसा प्रतीत होता है कि दानपेटी से राशि की चोरी के समय मंदिर में उपस्थित न्यास समिति के सभी कर्मचारी और पदाधिकारी इसमें संलिप्त है। चोरी में संलिप्त सभी लोगों को मंदिर और न्यास के कार्यों से तत्काल वंचित करें और हटाएं। इस संबंध में धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष ने सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष सह डीएम श्याम बिहारी मीणा को पत्र भेजा है। डीएम को इससे पहले भी पर्षद ने कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था। लेकिन कार्रवाई की जगह सचिव सह अनुमंडल पदाधिकारी ने ऐसी जांच कमेटी बनाई जो सवालों के घेरे में है। जांच कमेटी में शामिल प्रभारी प्रबंधक मनोज कुमार ठाकुर को पहले ही मंदिर व न्यास के कार्यों से वंचित करने का निर्देश पर्षद से दिया गया है। साथ ही जांच कमेटी में शामिल एक सदस्य आर्थिक और निजी स्वार्थ के लिए न्यास हित के विरुद्ध कार्य करने के आरोपित हैं।

दोषियों पर कानूनी कार्रवाई का पर्षद ने दिया निर्देश

पर्षद से डीएम को लिखे पत्र में गिनती के समय उपस्थित दोषी लोगों के विरुद्ध आवश्यक कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। न्यास पर्षद के पत्र में कहा है गया है कि दान पेटी से प्राप्त धनराशि की गिनती के समय उपस्थित सभी व्यक्तियों की कार्यशैली की जांच कर दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध आवश्यक कानूनी कार्रवाई करें साथ ही कृत कार्रवाई के संबंध में प्रतिवेदन की मांग की गई है। जबकि इस संबंध में पर्षद को प्रतिवेदन अब तक अप्राप्त है। चूंकि न्यास में किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जांच कमेटी में दागी सदस्य व दागी प्रभारी प्रबंधक को कर लिया शामिल

इस बीच शिकायतकर्ता ने पर्षद को सूचित किया है कि सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति में न्यास हित के विरुद्ध कार्य कर रहे प्रभारी प्रबंधक मनोज कुमार ठाकुर को अब तक कार्य से वंचित नहीं किया गया है। विगत दिनों चोरी मामले की जांच के लिए सचिव स्तर से बनाई गई जांच कमेटी में दागी सदस्य और प्रभारी प्रबंधक को शामिल कर लिया गया है। इससे स्पष्ट है कि मंदिर न्यास समिति में किसी की मंशा साफ नहीं है। जबकि पर्षद ने दान पेटी से रुपया गायब करने के मामले में स्पष्ट निर्देश दिया है कि दानपेटी की गिनती के समय उपस्थित कर्मचारी को तत्काल न्यास के कार्य से हटा दिया जाए।

प्रबंधक की है जिम्मेदारी

पत्र में कहा गया है कि दानपेटी की गिनती के समय किसी प्रकार की चोरी और हेराफेरी न हो इसकी संपूर्ण जिम्मेवारी प्रबंधक की है। लेकिन प्रभारी प्रबंधक मनोज कुमार ठाकुर व मंदिर न्यास में हमेशा राजनीतिक और आर्थिक लाभ लेने वाले सदस्य को जांच कमेटी में शामिल करने से जांच प्रभावित हो सकती है। इससे पहले उक्त सदस्य ने आर्थिक लाभ लेकर कर्मियों की नियुक्ति के लिए बगैर विधिवत प्रक्रिया के समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित कराए हैं। जबकि उनलोगों की न तो पर्षद से और न ही समिति से कभी नियुक्ति की गई है। पर्षद ने किसी भी प्रकार की नियुक्ति के लिए विधिवत प्रक्रिया करने का निर्देश दिया है। वह सदस्य एक राजनीति पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता हैं और वे पूर्व में विधानसभा प्रत्याशी रह कर चुनाव लड़ चुके हैं। वे हमेशा अपने राजनीतिक लाभ के लिए न्यास हित के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं। इसमें न्यास की बेशकीमती भूमि पर दुकान और मकान बनवाना अवैध रूप से कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव पास करना शामिल है।

नौ अगस्त से पूर्व पर्षद को उपलब्ध कराना होगा कार्रवाई प्रतिवेदन

शिकायतकर्ता ने सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति में दागी और न्यास हित के विरूद्ध कार्य कर रहे प्रभारी प्रबंधक मनोज कुमार ठाकुर व सदस्य को हटाने की मांग की ताकि न्यास की अस्मिता पर दाग न लगे। वहीं शिकायत पत्र पर पर्षद ने आवेदन की छाया प्रति संलग्न करते हुए कृत कार्रवाई के संबंध में एक प्रतिवेदन नौ अगस्त के पूर्व पर्षद को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। साथ ही उससे पहले दोषियों को मंदिर और न्यास के कार्य से वंचित करने का निर्देश दिया है।


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