नमक के साथ चावल खाकर गुजारे कई दिन
प्रवासियों का दर्द फोटो - 23 एमएडी 42 43 44 45 एवं 46 मधेपुरा। दर्द एक हो तो कहें।
प्रवासियों का दर्द, फोटो - 23 एमएडी 42, 43, 44, 45 एवं 46 मधेपुरा। दर्द एक हो तो कहें। यहां तो दर्द ही दर्द है। लॉकडाउन के बाद बढ़ी परेशानी से अब तक पीछा नहीं छूट रहा है। दर्द बताते हुए प्रवासियों की आंखे नम होने लगती है। वे कहते हैं कोरोना ने हमलोगों की दुनियां उजाड़ दी। काम बंद होने से भोजन पर भी आफत आ गई। पैसे के अभाव में दुकानदारों ने राशन देना बंद कर दिया था। साथी मजदूरों के सहारे कुछ दिनों तक समय गुजारा। नमक के चावल खाकर दिन गुजार रहे थे। उसके बाद जब लगा कि भूख से मर जाएंगे तो गांव के लिए चल पड़े। रास्ते में कई तरह की परेशानियां का सामना करना पड़ा। कोई मजदूर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने के बाद गाड़ी का सहारा लिया, तो कई मजदूर साइकिल व ठेले (रेहड़ी) से चलकर अपने गांव पहुंचे। कोई दिल्ली तो कोई हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व यूपी से पहुंचे हैं। कोट हरियाणा के चंडीगढ़ में सजावट का काम कर जीवन यापन कर रहा था। लॉकडाउन होने के बाद काम बंद हो गया। काम बंद होने के बाद पैसे की दिक्कत होने लगी। खाने-पीने व रहने में भी काफी परेशानी होने लगी। किससे मदद मांगता। सभी लाचार थे। नमक के साथ चावल खाकर कई दिन गुजारा। उसके बाद घर आना ही एक मात्र विकल्प बच गया था। -नरेश कुमार, भेलाही नयानगर टोला, मुरलीगंज हरियाणा के पानीपथ में सब्जी मंडी में मजदूरी करता था। लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया। काम नहीं मिलने से खाना भी नहीं मिलने लगा। लोगों से मदद मांगी, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। सभी साथ लाचार थे। पानीपथ से पैदल दिल्ली पहुंचने पर वहां के प्रशासन ने रोक लिया। आठ दिन वहां रहने पर सरकारी गाड़ी से आने की व्यवस्था की गई। -अमर कुमार, भेलाही, वार्ड छह, रघुनाथपुर पंचायत, मुरलीगंज
हरियाणा के गुड़गांव में खेतों में मजदूरी करता था। कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन होने से काम का बंद हो गया। कुछ दिनों तक तो ठीकठाक चला। उम्मीद थी कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद सब ठीक हो जाएगा, लेकिन इसका समय बढ़ता ही गया। उसके बाद खाने पर आफत आ गई। इस कारण गांव वापस लौटना पड़ा। वहां से ट्रेन से कटिहार और बाद में बस से मधेपुरा पहुंचा। उसके बाद मधेपुरा से अपने गांव। -संजय मुखिया, रघुनाथपुर, वार्ड 10, मुरलीगंज हरियाणा के गुरुग्राम में खेतों में मजदूरी करता था। लॉकडाउन के कारण खेतों में भी काम बंद हो गया। किसी तरह कुछ दिन वहां रहा। उसके बाद वहां रहने के लिए रूम किराया भी नहीं बचा। नमक के साथ चावल खाकर कुछ दिन गुजारा। चावल भी खत्म हो गया। पैसे नहीं रहने से दुकानदार भी राशन नहीं दिया। स्थिति खराब हुई तो घर की ओर रूख किया।
-इंद्रजीत मुखिया, रघुनाथपुर पंचायत, मुरलीगंज
हरियाणा में रहकर देहारी मजदूरी करता था। लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया। कुछ दिनों तक तो सब ठीकठाक चला। उम्मीद थी कुछ दिनों बाद सब ठीक हो जाएगा, लॉकडाउन के साथ समस्या भी बढ़ती चली गई। पास में अब न राशन बचा था न पैसे। दुकानदार से उधार में राशन लिया। फिर दुकानदार व मकान मालिक पैसे के लिए तंग करने लगे। -दिलखुश कुमार, रघुनाथपुर, वार्ड 10, मुरलीगंज