मजदूरों की दुर्दशा पर राज्य सरकार बनी उदासीन
मधेपुरा। मजदूर संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर मंगलवार को कामगारों ने 13 सूत्री मांगों क
मधेपुरा। मजदूर संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर मंगलवार को कामगारों ने 13 सूत्री मांगों को लेकर समाहरणालय के समक्ष प्रदर्शन किया। धरना प्रदर्शन के मौके पर भाकपा नेता प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि राज्य सरकार मजदूरों के प्रति संवेदनहीन बनी हुई है। राज्य में मजदूरों का निबंधन नहीं हो रहा है। गरीबी और भूखमरी से राज्य की जनता त्राहिमाम कर रही है। मजदूरों की दुर्दशा से राज्य सरकार अनजान बनी हुई है। प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि वर्ष 2016 में संशोधित श्रम कानून के तहत पारित 13 प्रकार के सरकारी लाभ से कामगार वंचित हैं। सरकार के खाते में मजदूरों के मद 30 हजार करोड़ रुपया पड़ा हुआ है। बावजूद इस दिशा में कोई कार्य नहीं हो रहा है। जिला अध्यक्ष अनिलाल यादव ने कहा कि गरीबों के अधिकार के लिए आवाज उठाने वालों को झूठे मुकदमें में फंसाया जाना पदाधिकारियों का नीति व नियति बन गई है। जिला मंत्री मनोरंजन ¨सह ने कहा कि गरीबों का शोषण किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उनके हक हकूक के लिए बड़े आंदोलन का शंखनाद किया जाएगा। कामगार यूनियन के जिला मंत्री नसीमउद्दीन ने कहा कि जब तक अधिकार नहीं मिल जाता तब तक हमारा आंदोलन चलता रहेगा।
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इन मांगों को लेकर किया प्रदर्शन :
-जिला में खाली पड़े श्रम अधीक्षक को जल्द किया जाए पदस्थापित किया जाए
-निबंधित व नवीनीकृत 2836 निर्माण श्रमिकों का अविलंब भुगतान किया जाए
-विभागीय आदेश का उल्लंघन करने वाले एलईओ पर कार्रवाई की जाए
-कर्मकार कल्याण बोर्ड के लिए बने एक ही कानून के लिए अलग अलग अधिसूचना एवं नियमावली पर रोक लगाई जाए
-एलईओ की मिलीभगत से बिचौलिये एवं दलालों के माधयम से हो रहे मजदूरों के शोषण पर लगे रोक
-मजदूरों के हक अधिकार के लिए आवाज उठाने वाले यूनियन प्रतिनिधि पर फर्जी मुकदमा बंद की जाए
-60 वर्ष से अधिक उम्र वाले निबंधित श्रमिकों को पांच हजार मासिक पेंशन दी जाए
-निबंधित श्रमिकों को कार्यालय में नवीनीकरण के लिए जमा कराए गए एवं बुके पर 16 डिजिटल अपडेट निर्गत की जाए
-विवाह के लिए वित्तीय सहायता राशि दो लाख लागू की जाए
-गैर संगठन अनाधिकृत जन संगठन पर कानूनी कार्रवाई की जाए
-सत्यापन कमेटी में संगठन के प्रतिनिधि की भागीदारी सुनिश्चित की जाए
-निबंधित निर्माण श्रमिकों को आवास के लिए पांच लाख लागू की जाए