विस चुनाव में बाढ़ पीड़ित किसानों से नेताजी को होना पड़ेगा दो-चार
मधेपुरा। जिले के चारों विधानसभा क्षेत्र में चुनावी शोर सुनाई देने लगा है। टिकट मिलने को लेक
मधेपुरा। जिले के चारों विधानसभा क्षेत्र में चुनावी शोर सुनाई देने लगा है। टिकट मिलने को लेकर जनप्रतिनिधि से लेकर आमलोगों के बीच कयासों का दौड़ जारी है। विस चुनाव के इस शोर में राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारी भी बाढ़ की पीड़ा झेल रहे पीड़ितों का दर्द पूरी तरह से भूल चुके हैं। ऐसे में चुनाव प्रचार के दौरान जनसंपर्क के लिए आने वाले नेताओं को पीड़ितों के सवालों जवाब देना होगा।
मालूम हो कि जिले के आलमनगर व बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र की अधिकांश पंचायत इस बार बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित थी। बाढ़ के कारण स्थिति यह है कि किसानों की पूरी फसल डूब गई। ऐसे में किसानों के समक्ष खाने के लाले पड़े हुए हैं, जबकि किसान अभी सरकारी मदद की आस लगाए हुए बैठे हैं। 22 हजार 115 हेक्टेयर में लगी फसल बह गई बाढ़ के दौरान इस बार पूरे जिले में किसानों की फसल की क्षति हुई है। पूरे जिले में करीब 22 हजार 115 हेक्टेयर में धान व सब्जी की खेती प्रभावित हुई है। इसमें सबसे अधिक चौसा प्रखंड क्षेत्र का इलाका प्रभावित हुआ है। चौसा प्रखंड क्षेत्र में करीब 4280 हेक्टेयर में धान की फसल प्रभावित हुई है। प्रभावित किसानों के बीच 29 करोड़ 85 लाख रुपये अनुदान वितरण करने की बात कही गई थी, लेकिन अनुदान वितरण की दिशा में अभी तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है।
किसानों का दर्द सुनने नहीं पहुंचे नेताजी बाढ़ के दौरान प्रभावित इलाकों में किसानों के दर्द को सुनने न तो विधायक ही पहुंच सके और न ही क्षेत्र के मंत्री। यही वजह है कि किसान कह रहे हैं कि नेताजी बाढ़ के समय में क्वारंटाइन थे, लेकिन चुनाव आते ही नेताजी का क्वारंटाइन खत्म हो रहा है। ऐसे में इस बार जनता नेताजी को इसका जवाब देगी।