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हस्तगत होने के पूर्व ही ध्वस्त हो गया मुक्तिधाम

जिला मुख्यालय से होकर गुजरने वाली भीरखी नदी तट पर सालों पूर्व 40 लाख की लागत से बनाया गया मुक्तिधाम में शवों के अंतिम संस्कार के बदले देवी-देवताओं की मूर्ति लगाकर पूजा-अर्चना की जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 May 2022 07:18 PM (IST)Updated: Sun, 29 May 2022 12:27 AM (IST)
हस्तगत होने के पूर्व ही ध्वस्त हो गया मुक्तिधाम
हस्तगत होने के पूर्व ही ध्वस्त हो गया मुक्तिधाम

जिला संवाददाता, मधेपुरा : जिला मुख्यालय से होकर गुजरने वाली भीरखी नदी तट पर सालों पूर्व 40 लाख की लागत से बनाया गया मुक्तिधाम में शवों के अंतिम संस्कार के बदले देवी-देवताओं की मूर्ति लगाकर पूजा-अर्चना की जा रही है। सीएम नीतीश कुमार के महात्वाकांक्षी योजनाओं के तहत बनाए गए मुक्तिधाम पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमा लिया है। वहां अब देवी- देवताओं का प्रतिमा लगाकर लोग मुक्ति के राह तलाश रहे हैं।

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स्थिति यह है कि निगरानी के अभाव में मुक्तिधाम में लगाए गए मोटर, सोलर लाईट समेत लाखों के सामानों पर चोरों ने हाथ साफ कर लिया है। इतना ही नहीं मुक्तिधाम के मुख्य प्रवेश द्वार पर लगाए गए बोर्ड के चदरा भी चोरी कर कबाड़खानों में बेच दिया गया है। यही कारण है कि शहर के लोग भीरखी नदी तट पर शवों का दाह संस्कार कर नदी के पानी को भी प्रदूषित कर रहे हैं। बावजूद इसके प्रशासन चैन की नींद सो रही है। लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन के उदासनीता का ही फल है कि लाखों की लागत से बना मुक्तिधाम शहरवासियों के काम नहीं आ रहे हैं। जिस समय इसका निर्माण किया जा रहा था, उस समय लोगों में खुशी थी कि अब किसी भी मौसम में चिता का दाह संस्कार करने में असुविधा नहीं होगी कितु लोगों की इस उम्मीद पर पानी फिर गया है। निर्माण के सालों बाद भी नहीं हुआ हस्तगत मुक्तिधाम का निर्माण लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की ओर से लगभग 40 लाख रुपये की लागत से सालों पहले किया गया था। जिस समय निर्माण किया गया था उस समय उसमें लगे सामान की पहरेदारी के लिए एक गार्ड की नियुक्ति की गई थी, कितु कई सालों तक वेतन नहीं मिलने के कारण गार्ड अपना कार्य छोड़कर चले गए। उसके बाद देखरेख के अभाव में चोरों की नजर उस पर पड़ी और धीरे-धीरे सारे सामानों की चोरी हो गई। बावजूद इसके प्रशासन की नजर उस पर नहीं पड़ी। अभी हालत यह है कि मूर्तिकार द्वारा जहां मुक्तिधाम पर कब्जा जमा कर मूर्ति का निर्माण किया जा रहा है। वहीं ग्रामीणों की मदद से वहां देवी-देवताओं की प्रतिमा लगा दी गई है। ग्रामीणों ने बताया कि अब यहां मेला लगाया जाएगा।

मुक्तिधाम बनने के बावजूद अभी तक चालू नहीं किया जाना दुखद है। दूसरी और नदी किनारे शवों के दाह-संस्कार से अवांछित पदार्थ बारिश के पानी के साथ नदी के पानी में मिल जाता है जिससे पानी दूषित हो जाता है और नदी के पानी पीने से मवेशी बीमर पर सकते हैं। डा. रूपेश कुमार जब मुक्तिधाम का निर्माण किया जा रहा था तो ग्रामीणों ने खुशी से जमीन उपलब्ध करा दिया था कितु प्रशासन की उदासीनता तथा समन्वय के अभाव के कारण अभी तक नगर परिषद ने उसका अधिग्रहण नहीं किया है। इतना ही नहीं अब लाखों से बना मुक्तिधाम ध्वस्त हो गया है। दिनेश यादव, भीरखी

मुक्तिधाम निर्माण का कार्य पीएचईडी को करना था। लाखों की लागत से मुक्तिधाम का निर्माण तो कराया गया कितु नगर परिषद को हस्तगत कराने में कोई रूचि नहीं दिखायी गयी। जिसके कारण अभी तक हस्तगत नहीं हो पाया है। रवींद्र यादव, प्रतिनिधि, मुख्य पार्षद, नगर परिषद, मधेपुरा कहने को तो सीएम नीतीश कुमार द्धारा कई महात्वाकांक्षी योजना चलाया जा रहा है कितु पदाधिकारियों के मनमानी के कारण किसी भी योजना का सही तरीके से कार्यान्वयन नहीं कराया जा रहा है। जिससे इसका लाभ आमलागों को नहीं मिल पा रहा है। वहीं हाल मुक्तिधाम का भी है। डीएम को इस पर संज्ञान लेने की जरूरत है। अमेश कुमार, प्रदेश महासचिव, राजद इस संबंध में अभी पूरी जानकारी नहीं है। इससे संबंधित संचिका देखने पर सारी बातों की जानकारी दे सकेंगे। जहां तक अतिक्रमण का सवाल है मामले की जांच कर संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी। अजय कुमार

कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, मधेपुरा


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