धूमधाम से मनाया गया भैया दूज
मधेपुरा : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के सेवा केंद्र पर भाई-दूज पर्व शुक्रवार क
मधेपुरा : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के सेवा केंद्र पर भाई-दूज पर्व शुक्रवार को धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर सीमावर्ती केंद्र प्रभारी बीके रंजू दीदी ने भैया-दूज के अध्यात्मिक रहस्यों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इस पर्व के अवसर पर बहन भाई के माथे पर सात रंग का टीका लगाती है जो आत्मा के सात गुणों को धारण करने का इशारा करता है। भैया-दूज भाई-बहन के लंबी उम्र की कामना करने का विशेष पर्व है। उन्होंने कहा कि आज मनुष्य अपने आत्मा के सतोगुण ज्ञान, पवित्रता, प्रेम, शांति सुख आनंद एवं शक्ति को छोड़कर अज्ञान, अपवित्रता, ईष्र्या, अशांति, दुख के रास्ते पर चल पड़े हैं। जिससे सभी मनुष्य भौतिक संपन्नता होने के बावजूद भी दुखी एवं भय के वातावरण में जी रहे हैं। इस अवसर पर समाजसेवी भूपेंद्र नारायण मधेपुरी ने कहा कि भाई का भी मुख्य कर्तव्य बनता है कि बहन के हर दुख दर्द को आजीवन दूर करते रहना। मौके पर दिनेश प्रसाद सर्राफ, प्रो. अजय कुमार, एनके निराला, डॉ. गणेश प्रसाद यादव, दिनेश यादव, विनय वर्धन उर्फ खोखा यादव, चंदन प्रसाद साह, बैजनाथ यादव, बीके जानकी, दुर्गा, संगीता आदि उपस्थित थे।
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संवाद सूत्र,मुरलीगंज(मधेपुरा): प्रखंड क्षेत्र में भैया दूज पर्व धूम-धाम से मनाया गया। महिलाओं एवं लड़कियों ने अपने भाईयों के लंबी उम्र की कामना की। भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास की द्वितीया को मनाया जाता है। भैया दूज को भ्रातृ द्वितीया भी कहते हैं। इस पर्व में बहनें भाइयों के स्वस्थ तथा लंबी उम्र होने की मंगल कामना करती हैं।
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संवाद सूत्र,पुरैनी(मधेपुरा): मिथिलांचल का अतिमहत्वपूर्ण भाई बहन के अटूट प्रेम पर आधारित भैया दूज पर्व प्रखंड क्षेत्र सहित आसपास के क्षेत्रों मे काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के द्वितीया को मनाये जाने वाले लोक आस्था का पर्व भैया दूज के मौके पर बहन भाई के लम्बी उम्र की कामना करती है।शुक्रवार को प्रखंड क्षेत्र के हर आंगन में सुबह से ही भैया दूज पर्व को लेकर काफी चहल-पहल देखी गई। इस दिन बहन घर के आंगन में रंगोली बनाकर नये वस्त्र धारण कर अपने भाई के हाथ मे अक्षत,चन्दन,पान-सुपाड़ी,द्रव्य अर्थात चांदी का सिक्का रखकर ईश्वर से उसके दीर्घायु होने की कामना करती है। इस अवसर पर बहन भाई के माथे पर तिलक लगाने के उपरांत मिठाई खिलाकर उसके लम्बी उम्र की कामना ईश्वर से करती है।भैया दूज के मौके पर भाई की दीर्घायु की कामना के लिए बहनें गोधन भी कूटती है और भाई को रोली,कुमकुम व दही की टीका लगाकर दूज की कथा सुनाती है।
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संवाद सूत्र,आलमनगर(मधेपुरा): प्रखंड क्षेत्र में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया भाई बहन के पर्व भाई दूज मनाया गया। भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास की द्वितीया को मनाया जाता है। भैया दूज को भ्रातृ द्वितीया भी कहते हैं। भैया दूज की पर्व को लेकर मान्यता है कि भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालते रहे। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सछ्वावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है।
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संवाद सूत्र,उदाकिशुनगंज(मधेपुरा): उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र में भाई -बहन के अटूट प्रेम का त्योहार भैयादूज पूरे विधि विधान के साथ उल्लास पूर्वक मनाया गया। पर्व के लेकर क्षेत्र में काफी उत्साह का नजारा दिखा। मुख्यालय से लेकर गांव तक पर्व की धूम नजर आया। उल्लेखनीय है कि दीपावली के ठीक दो दिन बाद यानि कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यह त्योहार हर साल मनाया जाता है। इस दिन बहनें व्रत, पूजा, कथा आदि कर भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं। बहन भाई के माथे पर टिका लगाती हैं। इसके बदले भाई भी उनकी रक्षा का संकल्प लेते हुए उपहार देते हैं। यह त्योहार रक्षाबंधन की तरह ही महत्व रखता है। पर्व के लेकर इस बार बहनों ने खास तैयारी कर रखी। पर्व को लेकर घर आंगन पर चहल पहल नजर आया। पर्व को लेकर घरों में उत्सवी माहौल दिखा।
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संवाद सूत्र,शंकरपुर(मधेपुरा): भाई बहन का पर्व भैया दूज धूमधाम से मनाया गया। खासकर मिथिलांचल मे इस दिन मुडी चूड़ा का खास महत्व है। बहन के घर भाईयों को जाने की परंपरा है।