गायब हुए ठेकेदार तो मजदूरों ने पकड़ी घर की राह
मधेपुरा। भूखे पेट परिवार के साथ पैदल चलकर पीड़ा झेलते हुए लोग पहुंच रहे हैं। किसी को
मधेपुरा। भूखे पेट परिवार के साथ पैदल चलकर पीड़ा झेलते हुए लोग पहुंच रहे हैं। किसी को ठेकेदार ने मजदूरी नहीं दी तो कोई मकान मालिक की सख्ती से परेशान होकर घर की राह ली। देखा भी नहीं कि वाहन नहीं है। लॉकडाउन है। पैदल ही घर की ओर निकल गए। किसी प्रकार कोई ट्रक तो कोई मालगाड़ी के सहारे पहुंचे। बाद में 50-50 किलोमीटर दूर तक पैदल चलकर गांव पहुंचे। यहां भी उनका दर्द कम नहीं हो रहा। घर जाने के पहले जांच हो रही है। क्वारंटाइन किया जा रहा है। रोजी-रोटी के लिए शहरों में रहकर मजदूरी और निजी कंपनियों, फैक्ट्रियों मे नौकरी कर रहे मजदूर, युवा कोरोना वायरस की दहशत के चलते प्रभावित हुए हैं। कोरोना वायरस के चलते लोग तबाह हो गए हैं। साधन न होने के कारण लंबी दूरी लोग पैदल ही चलने को विवश हैं। रविवार व सोमवार को अलग अलग जगहों से एक सौ से अधिक मजदूर, छात्र व अन्य लोग एनएच 106 पर सिंहेश्वर होकर आलमनगर, पूर्णिया व खगड़िया के लिए गुजरे। लॉकडाउन के कारण आलमनगर, खगड़िया व मधेपुरा के सीमावर्ती खारा व पूर्णिया जिले के सरसी आदि क्षेत्र के मजदूर हाजीपुर, दरभंगा और मधुबनी से पैदल ही अपने घरों के लिए पहुंच रहे हैं। दिल्ली से पटना व हाजीपुर तक किसी तरह छोटी बड़ी गाड़ियों से सफर तय करने वाले मजदूर सुनील, छोटू, रमाकांत, मुकेश, रितेश, चेतन, राजू यादव, रमेश, राममिलन, प्रभू, सुरेश, दयाराम, सिकन्दर सहित अन्य ने बताया कि ठेकेदार बिना बताए और बगैर मजदूरी दिए ही गायब हो गया। एक दिन उसका फोन मिलाने के साथ ही इधर उधर ढूंढ़ा गया। मजदूरों के लिए भोजन की व्यवस्था तक नहीं की गई, लिहाजा ये भूखे पेट ही घरों के लिए निकल पड़े हैं। वहीं छात्र रंजन कुमार, अमर कुमार ने बताया कि मकान मालिक के सख्ती के कारण उनलोगों को घर लौटना पड़ रहा है।
पत्नी व छोटे छोटे बच्चों के साथ निकल पड़े पैदल
आलमनगर के मजदूर पत्नी व छोटे छोटे बच्चों के साथ सरसी, दरभंगा में रूई भराई का काम करते थे। कपिलदेव, शंभू और कविता देवी ने बताया कि कोरोना वायरस की वजह से जब काम बंद हुआ तो यह लोग पैदल ही अपने गांव के लिए निकल पड़े। वहां साधन न मिलने की वजह से पिछले दो दिनों में हम सब 150 किमी की यात्रा तय कर चुके हैं। पूर्णिया जिले के परोरा निवासी मजदूर सूर्यकांत और कैलाश ने बताया कि पिछले चार दिनों से हम सब सिर्फ पानी और बिस्कुट आदि से ही काम चला रहे हैं।
अब गांवों में संक्रमण का खतरा
दूसरे शहरों से गांव जा रहे मजदूरों की जांच भी नहीं की जा रही है। ऐसे में दूरस्थ शहरों, ग्रामों में भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा। संभव है कि इन मजदूरों में कोई संक्रमण लेकर चल रहा हो। यदि इनकी उचित जांच नहीं की गई तो इनका परिवार और पूरा गांव खतरे में आ सकता है।